
कुछ पल बचे है जिंदगी
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Category : Poems
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कुछ पल बचे है जिंदगी कुछ तो अच्छा करझुठ, फरेब छोड़कर कुछ काम सच्चा कर ।।धृ।।असमान में वह सितारा रोज उगता हैहर सबेरे शामतक रोशनी देता हैतेरा मेरा और सभी का भाग खुलाता हैबिनटैक्स वह अपना कर्तव्य निभाता हैजैसा स्थान वैसा काम , ये ईन्सां तु भी काम उॅंचा कर ।नदियाॅं बहती है, बदरियाॅं बरसती हैदेना उनका धर्म, कर्म निभाती हैलहलहाते खेत , मुस्कुराता जंगल समेतबिनमांगे बाटती है, टैक्स नही वसुलती हैकुदरत का नियम भलाई, ये ईन्सां तु भी काम समुचा कर ।किसान और मजदूर जमींपर दो सितारे हैइसके बगैर हम कुछ नही , हमारे दिन बुरे हैइनके वास्ते जो मगन रहते वह तो लोग़ न्यारे हैखाली बातें करनेवाले केवल फुटते गुब्बारे हैमानवता के वास्ते जिना , ईन्सां यही जीने की इच्छा कर ।हवाएं बहती है, दिशाएं सवरती हैकदरत की हर चीज सबके लिए उभरती हैजंगल में देखो ये जिंदगियाॅं जिती हैउनके हर करवट में प्रीति ही प्रीति हैअनिति,लूट छोड़ दे, हे ईन्सां तु हर इन्सां से प्रेम की सदिच्छा कर।विज्ञां के रास्ते चलना है, भारत के भाग बदलना हैकुनीतियोंको त्यागना है , कुप्रथाओं को जलाना हैआसमाॅं के छातीपर एक और सितारा चमकाना हैविज्ञां के रास्ते ही संभव है मानवता को बढ़ाना हैमनका मैल धो,विज्ञां की ओर हो,हे ईन्सां नाविन्य की पृच्छा कर। ।**************
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