कुछ पल बचे है जिंदगी Read Count : 7

Category : Poems

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कुछ पल बचे है जिंदगी कुछ तो अच्छा कर
झुठ,  फरेब  छोड़कर  कुछ काम सच्चा कर ।।धृ।।

असमान में वह सितारा रोज उगता है 
हर सबेरे शामतक रोशनी देता है
तेरा मेरा और सभी का भाग खुलाता है
बिनटैक्स वह अपना कर्तव्य निभाता है
जैसा स्थान वैसा काम , ये ईन्सां तु भी काम उॅंचा कर ।

नदियाॅं बहती है, बदरियाॅं बरसती है 
देना उनका धर्म, कर्म निभाती है
लहलहाते खेत , मुस्कुराता जंगल समेत
बिनमांगे बाटती है,  टैक्स नही वसुलती है
कुदरत का नियम भलाई, ये ईन्सां तु भी काम समुचा कर ।

किसान और मजदूर जमींपर दो सितारे है
इसके बगैर हम कुछ नही , हमारे दिन बुरे है 
इनके वास्ते जो मगन रहते वह तो लोग़ न्यारे है 
खाली बातें करनेवाले केवल फुटते गुब्बारे है
मानवता के वास्ते जिना ,  ईन्सां यही जीने की इच्छा कर ।

हवाएं बहती है,  दिशाएं सवरती है
कदरत की हर चीज सबके लिए उभरती है
जंगल में देखो ये जिंदगियाॅं जिती है
उनके हर करवट में प्रीति ही प्रीति है
अनिति,लूट छोड़ दे, हे ईन्सां तु हर इन्सां से प्रेम की सदिच्छा कर।
 
विज्ञां के रास्ते चलना है, भारत के भाग बदलना है
कुनीतियोंको  त्यागना है , कुप्रथाओं को जलाना है 
आसमाॅं के छातीपर एक और सितारा चमकाना है
विज्ञां के रास्ते ही संभव है मानवता को बढ़ाना है
मनका मैल धो,विज्ञां की ओर हो,हे ईन्सां नाविन्य की पृच्छा कर। ।
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