कोई गुनाह नही Read Count : 109

Category : Poems

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ये देश हमारा भी है तुम कौन हो देशद्रोही कहनेवाले
हम सदियोंसे इधर है,   सदाही ईधरही रहनेवाले ।।

तुमने तो कभी तिरंगा भी नहीं फहराया अपने ठिकानोंपर और 
हमारे दिल में तिरंगा है
हमारा अक्स जुड़ा है इस जमीं से और तुम्हारा अक्स भुतकाल देखे तो नंगा है ।
हम वतन के वास्ते जीते है और सदाही है जीनेवाले।

हतियाने हमारे भारतको तुमने बेच ड़ाली सरकारी कंपनियाॅं
हक़में  आवाज उठाई तो कहते देशद्रोही, बुझाते हो पहलियाॅं
अनीति तुम्हारी सहेली है, तुम हो भ्रष्टाचारी वतन को लुटनेवाले ।

सिमापर जवान मरते हैं तो तुम इधर रंगलिया मनाते हो
इमोशनल ब्लॅक करकरके  तुम सदाही ओठ बटोरते हो
मशीन का शासन तुम्हारा तुम भैसे हो भारत माॅंके छातीपर चरनेवाले ।

झुठा युद्ध करके तुम छाती चौड़ी करते हो, अखबारोंमें  शाबासी पाते हो
जनताके टैक्सका पैसा व्यर्थ कार्योंमें लगाकर चोर, अमिरोंपर लुटाते हो
ये कैसी और कौन सी देशभक्ती है तुम्हारी ये आमजनता को रौंदनेवाले ।

सिमावादीयोंसे हमारा वास्ता है रिश्ताता तो हम निभायेंगे
उनके हकोंके वास्ते हम जान माल कोभी न्यौछाहर कर देंगे
वैसे तो कुछ पल बचे है जिंदगी , कोई गुनाह नहीं, हम है अच्छे काम करनेवाले ।

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