
कोई गुनाह नही
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Category : Poems
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ये देश हमारा भी है तुम कौन हो देशद्रोही कहनेवालेहम सदियोंसे इधर है, सदाही ईधरही रहनेवाले ।।तुमने तो कभी तिरंगा भी नहीं फहराया अपने ठिकानोंपर औरहमारे दिल में तिरंगा हैहमारा अक्स जुड़ा है इस जमीं से और तुम्हारा अक्स भुतकाल देखे तो नंगा है ।हम वतन के वास्ते जीते है और सदाही है जीनेवाले।हतियाने हमारे भारतको तुमने बेच ड़ाली सरकारी कंपनियाॅंहक़में आवाज उठाई तो कहते देशद्रोही, बुझाते हो पहलियाॅंअनीति तुम्हारी सहेली है, तुम हो भ्रष्टाचारी वतन को लुटनेवाले ।सिमापर जवान मरते हैं तो तुम इधर रंगलिया मनाते होइमोशनल ब्लॅक करकरके तुम सदाही ओठ बटोरते होमशीन का शासन तुम्हारा तुम भैसे हो भारत माॅंके छातीपर चरनेवाले ।झुठा युद्ध करके तुम छाती चौड़ी करते हो, अखबारोंमें शाबासी पाते होजनताके टैक्सका पैसा व्यर्थ कार्योंमें लगाकर चोर, अमिरोंपर लुटाते होये कैसी और कौन सी देशभक्ती है तुम्हारी ये आमजनता को रौंदनेवाले ।सिमावादीयोंसे हमारा वास्ता है रिश्ताता तो हम निभायेंगेउनके हकोंके वास्ते हम जान माल कोभी न्यौछाहर कर देंगेवैसे तो कुछ पल बचे है जिंदगी , कोई गुनाह नहीं, हम है अच्छे काम करनेवाले ।
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