हम उस देश वासी है Read Count : 443

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हम उस देश के वासी है , 
जीवन के प्रवासी है , 
भारत के मूलनिवासी है  ।  ।
जहाॅपर इन्सॉ मरते है
परिंदे यहॉपर उडते है । 
झूठ यहाँ पर पचता है
सच यहाँ पर दबता है  ।
सिमापर जवान मरते है 
लिडर किमत तोलते है ।
नारी यहॉपर गुलाम है
सर किसानोंका कलम है । 
  मटके का पानी हराम है
जाती का बड़ा नाम है ।ऐ
दुध यहॉपर बहाते है
प्यासे बच्चों को मारते है । 
लोगों के मन  मन बंदीस्त है
नेता भी जातीयवाद से लिप्त है ।

ये कैसा अनोखा देश है
कलंकित कलुशीत परिवेश है । 
पढ़ेलिखे यहाँ स्वार्थी है
इक-दुसरोंके भक्षार्थी है ।
सब झंडे के गुलाम है
पैसे को यहॉ सलाम है । 
लिड़र यहॉ पर लुटते है
ओटर्स यहाँपर  बिकते है । 
हर पग पर लुटेरें है
मास्क पहनाये चेहरे है ।
एजंट बनके आते है
ग्राहकोंको रिझाते है । 
इंटरनेट एक हतियार है
सब लुटने को तैयार है।
एज्युकेशन यहॉ बाजार है
विदेशियोंके हात चेअर है । 
 कितना भी सुलझाओ अनसुलझा है
क्योंकि मिलीभगत का साझा है । 
लिड़र और व्यापारी एक है
चलाते हतियार फेक है । 
सारी जनता त्रस्त है
फिर भी मोबाइल में मस्त है।

स्वीसबैंकमें धन है
मेरा भारत महान है। 
गरीब आधा पेट सोता है
मजदुरी के लिए रोता है।
निम्नोंपर अन्याय होता है
और न्याय तंत्र रोता है। 
सब ईवीएम से गुलाम है
आम आदमी का काम तमाम है।
जातीयवाद कदम कदम पर है
दिखता नही लेकिन चरमपर है । 
चांद-सितारोंकी बात होती है
दलितों को रौंदकर जाती है।
यहॉ खैरलांजी आशिफा होती है
मनुस्मृती से व्यवस्था चलती है । 
ये कैसा आया दौर है
कौन जिम्मेदार है  ? 
कर्मचारी सब त्रस्त है
अधिकारी भी भ्रमीष्ट है।
रोज  नया बखेडा है
 बंब का रोडा है।
अतिरिक्त बोझ ढोता है
गुलामीपे रोता है 
नौकरिया सब बंद है।
जवान  मोबाईल में धुंद है।
रोजगार की अॅड तो निकलती है
चुनाव के बाद गुम हो जाती है।
इडी आयटी सीबीआय  सब मुठ्ठीमें है
चोर बलात्कारी,भ्रष्टाचारी सब एक ही कष्तीमें है।
विपक्ष खाली हात है
सत्तापक्षकी मुजोर बात है ।
ये विश्र्वास कहासे है?
ईवीएम की ही राहसे है।
 विपक्ष विदाउट हतियार है
और  मिडिया ए कुत्ता तैयार है ।
शतरंज का खेल  जारी है 
चौबीसकी तैयारी है ।
मेरे भारत की बात न्यारी है
यहा लिडर जुआरी है।
दिखते सब इन्सान है
पर इन्सानियत गुम है।
हैवानियत चरमपर है
और हृद्योकी आंखे नम है।
सच तो ये है 
विदेशियोंके हात सोनेकी चिडिया।
और यहांके लोग मनोरंजनमें मस्त
देख रहे मिडिया है। 
जागो , बैलेट पेपर  सामंतवादियोंका मृत्यूपत्र है
और ईवीएम  भारतीयोंके खिलाफ़ एक षडयंत्र है।
गलियों चौबारोंमें जुमले है
यहां आम आदमीयोंपर हमले है
जो नहीं सिखना  ओ सिखा है
अच्छे एज्युकेशन को रोका है।
कौन पहचाने  क्या धोका है
मनभर बुराईमें कनभर चोखा है।
किसने किसको टोका है
कौन जाने कब मौका है।

इतिहास को निगलने की देखो ये भूख 
कहा जायेगा मेरे भारत का रूख
लोकतंत्र में क्या थी  कोई  चूक? 
ये सोचकर मत होना भाऊक
जो हात तेरे नहीं
 तुझे क्या देंगे
रोटी भी छिनोगे तो 
गोलीके हकदार होंगे।
तेरे पास कोई तेरा ही नहीं
मजा लूट रहा सात समंदर का जमाई
तेरी सोचको दबाके रखा है
मोर साम्राज्यको निगलकर रखा है
छा रहा अंधेरा अपने वतनपर
काले दाग  भारत माॅ के तनपर
कितने बोतल के धार में  चूर है
बिगड़ रहा  भारत का नूर है 

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