
हम उस देश वासी है
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Category : Poems
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हम उस देश के वासी है ,जीवन के प्रवासी है ,भारत के मूलनिवासी है । ।जहाॅपर इन्सॉ मरते हैपरिंदे यहॉपर उडते है ।झूठ यहाँ पर पचता हैसच यहाँ पर दबता है ।सिमापर जवान मरते हैलिडर किमत तोलते है ।नारी यहॉपर गुलाम हैसर किसानोंका कलम है ।मटके का पानी हराम हैजाती का बड़ा नाम है ।ऐदुध यहॉपर बहाते हैप्यासे बच्चों को मारते है ।लोगों के मन मन बंदीस्त हैनेता भी जातीयवाद से लिप्त है ।ये कैसा अनोखा देश हैकलंकित कलुशीत परिवेश है ।पढ़ेलिखे यहाँ स्वार्थी हैइक-दुसरोंके भक्षार्थी है ।सब झंडे के गुलाम हैपैसे को यहॉ सलाम है ।लिड़र यहॉ पर लुटते हैओटर्स यहाँपर बिकते है ।हर पग पर लुटेरें हैमास्क पहनाये चेहरे है ।एजंट बनके आते हैग्राहकोंको रिझाते है ।इंटरनेट एक हतियार हैसब लुटने को तैयार है।एज्युकेशन यहॉ बाजार हैविदेशियोंके हात चेअर है ।कितना भी सुलझाओ अनसुलझा हैक्योंकि मिलीभगत का साझा है ।लिड़र और व्यापारी एक हैचलाते हतियार फेक है ।सारी जनता त्रस्त हैफिर भी मोबाइल में मस्त है।स्वीसबैंकमें धन हैमेरा भारत महान है।गरीब आधा पेट सोता हैमजदुरी के लिए रोता है।निम्नोंपर अन्याय होता हैऔर न्याय तंत्र रोता है।सब ईवीएम से गुलाम हैआम आदमी का काम तमाम है।जातीयवाद कदम कदम पर हैदिखता नही लेकिन चरमपर है ।चांद-सितारोंकी बात होती हैदलितों को रौंदकर जाती है।यहॉ खैरलांजी आशिफा होती हैमनुस्मृती से व्यवस्था चलती है ।ये कैसा आया दौर हैकौन जिम्मेदार है ?कर्मचारी सब त्रस्त हैअधिकारी भी भ्रमीष्ट है।रोज नया बखेडा हैबंब का रोडा है।अतिरिक्त बोझ ढोता हैगुलामीपे रोता हैनौकरिया सब बंद है।जवान मोबाईल में धुंद है।रोजगार की अॅड तो निकलती हैचुनाव के बाद गुम हो जाती है।इडी आयटी सीबीआय सब मुठ्ठीमें हैचोर बलात्कारी,भ्रष्टाचारी सब एक ही कष्तीमें है।विपक्ष खाली हात हैसत्तापक्षकी मुजोर बात है ।ये विश्र्वास कहासे है?ईवीएम की ही राहसे है।विपक्ष विदाउट हतियार हैऔर मिडिया ए कुत्ता तैयार है ।शतरंज का खेल जारी हैचौबीसकी तैयारी है ।मेरे भारत की बात न्यारी हैयहा लिडर जुआरी है।दिखते सब इन्सान हैपर इन्सानियत गुम है।हैवानियत चरमपर हैऔर हृद्योकी आंखे नम है।सच तो ये हैविदेशियोंके हात सोनेकी चिडिया।और यहांके लोग मनोरंजनमें मस्तदेख रहे मिडिया है।जागो , बैलेट पेपर सामंतवादियोंका मृत्यूपत्र हैऔर ईवीएम भारतीयोंके खिलाफ़ एक षडयंत्र है।गलियों चौबारोंमें जुमले हैयहां आम आदमीयोंपर हमले हैजो नहीं सिखना ओ सिखा हैअच्छे एज्युकेशन को रोका है।कौन पहचाने क्या धोका हैमनभर बुराईमें कनभर चोखा है।किसने किसको टोका हैकौन जाने कब मौका है।इतिहास को निगलने की देखो ये भूखकहा जायेगा मेरे भारत का रूखलोकतंत्र में क्या थी कोई चूक?ये सोचकर मत होना भाऊकजो हात तेरे नहींतुझे क्या देंगेरोटी भी छिनोगे तोगोलीके हकदार होंगे।तेरे पास कोई तेरा ही नहींमजा लूट रहा सात समंदर का जमाईतेरी सोचको दबाके रखा हैमोर साम्राज्यको निगलकर रखा हैछा रहा अंधेरा अपने वतनपरकाले दाग भारत माॅ के तनपरकितने बोतल के धार में चूर हैबिगड़ रहा भारत का नूर है
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