
चीनी की नींदमें सोय
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चीनी की नींद में सोये लोगों, तुम्हारा लोकतंत्र मर रहा है।दुनिया के लगभग सभी देशों में लोकतंत्र नहीं है; फिर भी, कई देशों में लोकतंत्र है। जिन देशों में लोकतंत्र नहीं है, वहां की सरकार द्वारा लोगों को काफी स्वायत्तता दी जाती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि किसी न किसी रूप में लोकतंत्र है और लोकतंत्र इस अर्थ में विद्यमान है कि उन्होंने लोगों को महत्व दिया है। कोई राष्ट्र पूंजीवादी भी हो, लेकिन यदि उस देश ने अपने नागरिकों के हित में कानून बनाए हैं और उन्हें सुविधाएं प्रदान की हैं, तो उस सरकार को नागरिकों के हित में कहा जा सकता है। साथ ही, यदि उस देश की जनता के मुद्दों और समस्याओं को महत्वपूर्ण मानकर और उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता देकर उनका समाधान किया जा रहा है, तो उस देश की सरकार सचमुच प्रशंसा की पात्र है।यह कहा जा सकता है कि जनहित की प्रक्रिया जीवित है, लोकतंत्र जीवित है। संसद या किसी संस्था के लिए चुनाव कहा जा सकता है कि जनहित की प्रक्रिया जीवित है, लोकतंत्र जीवित है। संसद या किसी संस्था के लिए चुने गए लोग, सही मायने में, नागरिकों या संस्था से जुड़े लोगों के रक्षक होते हैं। लेकिन अगर प्रतिनिधि उदारवादी नहीं हैं या लोगों के सवालों के प्रति न्याय नहीं करते हैं। या फिर वे किसी गंदे विचार से प्रेरित हों या धर्म को महत्व देते हों, या फिर गुंडे स्वभाव के हों, तो वे प्रतिनिधि किसी काम के नहीं हैं। इसके विपरीत, वे देश को नुकसान पहुंचा सकते हैं। और आज भारत में भी ऐसी ही तस्वीर देखने को मिल रही है। जिस प्रक्रिया से ये प्रतिनिधि वहां पहुंचते हैं उसे चुनाव कहा जाता है।चुनाव लोकतंत्र या किसी भी प्रणाली की जीवनरेखा हैं। एक आत्मा है. यदि इस प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो रही हो, यदि राष्ट्र खतरे में हो, यदि भविष्य में लोगों की स्वतंत्रता सीमित होने के संकेत हों, यदि हमें किसी अन्य राष्ट्र के सामने झुकना पड़े, यदि समस्याओं का पहाड़ खड़ा हो रहा हो, यदि दूसरों की आय में समस्या और हानि के संकेत हों,यदि समस्याओं का पहाड़ खड़ा हो रहा हो, यदि दूसरों की आय में समस्याएँ और घाटा हो रहा हो, यदि आर्थिक संकट या प्रति व्यक्ति आय में कमी के संकेत मिल रहे हों, यदि सामाजिक संबंध बिगड़ रहे हों, यदि धार्मिक सहिष्णुता को खतरा हो, यदि लोगों में नफरत की भावनाएँ बढ़ रही हों, यदि लोगों के रोजगार और आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा हो, यदि महंगाई नियंत्रण से बाहर हो रही हो,यदि भ्रष्टाचार का स्तर बढ़ रहा है तो इसका मतलब है कि निर्वाचित प्रतिनिधि उस पद या कुर्सी के योग्य नहीं हैं। इसका यह भी अर्थ है कि जिस प्रक्रिया से वे पद तक पहुंचे, उसमें त्रुटि है। अच्छे राजनेताओं को पद पर चुना जाना चाहिए ताकि वे राष्ट्रीय हित के लिए काम करें। जिस प्रक्रिया के माध्यम से उनका चुनाव किया गया है वह पूरी तरह पारदर्शी, सुरक्षित और भरोसेमंद और आवश्यकता पड़ी तो दोबारा रिकाउंटीग आसानी से और अनेक बार की जा सके , भले ही उसमें समय जादा लगे ताकि सबको भरोसा हो ऐसी प्रक्रिया होनी चाहिए।अब हम मुख्य बातों की ओर बढ़ते हैं। वह चीज हमारे राष्ट्र का जीवन है, लोकतंत्र का जीवन हमारे चुनाव हैं। जिस पर यहां के लोग, कर्मचारी, छोटे व्यापारी, किसान, मजदूर व सामाजिक संगठन बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते। इसका एक अच्छा उदाहरण जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव हैं जो यहां नहीं हुए। चुनाव अवधि को कई महीने बीत चुके हैं, फिर भी चुनाव नहीं हुए हैं। ये चुनाव क्यों नहीं हुए? इसे लेने में क्या समस्या है?भारत पर कौन सी बड़ी आपदाएं आईं हैं जिनके कारण चुनाव कराना असंभव हो गया है? यह एक ऐसा प्रश्न है जो यहां के लोगों को पूछना चाहिए। एक छोटी सी समस्या के लिए चुनाव रोकना कितना सही है? क्या अदालतें ख़त्म हो गई हैं या उनके न्यायाधीशों को रिश्वत देकर चुप करा दिया गया है? या इसका मतलब यह है कि उन्होंने गलत निर्णय लिए हैं और एक खास वर्ग के लिए काम किया है। अथवा यदि वे दबाव में काम कर रहे हैं, तो इसका अर्थ है कि वे उस पद के योग्य नहीं हैं।या यह कहा जा सकता है कि वे मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं और अपने देश को नुकसान पहुंचाने में आनंद ले रहे हैं।याद रखें, जब कोई राष्ट्र गुलाम हो जाता है, तो उसके 95% नागरिक व्यापारियों, पूंजीपतियों और समाज के दलालों के शासन में आ जाते हैं। गुलाम हो जाते है।चुनाव हमारे राष्ट्र की जीवनरेखा हैं। यदि वह रुक जाए,या उसे ग्रहण लगा दिया जाए तो वह राष्ट्र मृतप्राय हो जाता है।इसलिए वह राष्ट्र पिछड़ा हो जाता है।चुनाव हमारे राष्ट्र की जीवनरेखा हैं। यदि वह जीवन रुक रहा है, यदि उस पर ग्रहण लग रहा है, तो उस राष्ट्र को मृत्यु के कगार पर माना जाना चाहिए। आपको कब एहसास होगा कि आपके लोकतंत्र की जान छीन ली गई है? वह समय आ गया है जब आपकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता, आपके द्वारा अर्जित संपत्ति और आपकी ईमानदारी दांव पर लगी है। आपको फिरसे उसी मोड़पर खड़ा कर दिया जायेगा जहासे आपको उस महान मानवता के पुजारी ने उठा लिया था। आपपर वही जुल्म ढाए जायेंगे जो कभी आपके पुरखोंने सहाए है। तुम फिरतसे गुलाम कहलाओगे। बड़े लोगोंके छोटे गुलाम , उच्चवर्णीयोंके तुम निचले गुलाम ।
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