इतना कुछ हुवा इतने क%E Read Count : 533

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इतना कुछ हुवा इतने काल गुजर गये
फीरभी तुम्हारी नींद नहीं टुटी 
सच है तुम हो कूंभकरण की औलादे 
तुम्हारी किस्मत है फुटी ।।धृ ।।

  सदीयोंसे  जातीके नाम से  होता आया, किया गया 
मजलुम और बेबसोंसे  संगर 
 बालाओंपे अत्याचार  देखकर भी नही जगता जमीर 
दिल में है इतना ड़र 
बहुसंख्य होकर भी शक्तिहीन हो क्योंकि अधिकारोंसे 
तुम्हारी नजर है हटी । १।

    अपने काम में रहते हो मस्त, शाम सबेरे जलाते हो  
    अंगारे 
    सोचने का समय नहीं है , रातदिन व्यर्थ गिनते हो तारे 
    क्या सचमुच लगता है तुम्हारी जिंदगानी दुसरोंसे है          अनुठी ।२।

अपने आस पास देख लो नजर उठाके तुमने अपनी आंखे कर रखी क्यों बंद ?
दिखता नहीं पिछडापन, तुम किसकी ढाल हो तुमारा उची जात वालों से क्या है संबंध ?
इस युग में संभलना है,चढना है, पढना है,पढकर चढना है प्रगति की चोटी । ३।

    ये भेदभाव छुआछुत पाप है,तुमने कभी  किया क्या है  
    पवित्र 
     उसके वास्ते तुमने अपने घर में कितनी बार छिडका 
    होगा इत्र    (मुत्र)
     कोशिश करो सच को जानने की, पहचानने की क्यों 
     रखते  हो  आस झुठी ।४।

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