
 इतना कुछ हुवा इतने क%E
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              Category : Poems
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इतना कुछ हुवा इतने काल गुजर गयेफीरभी तुम्हारी नींद नहीं टुटीसच है तुम हो कूंभकरण की औलादेतुम्हारी किस्मत है फुटी ।।धृ ।।सदीयोंसे जातीके नाम से होता आया, किया गयामजलुम और बेबसोंसे संगरबालाओंपे अत्याचार देखकर भी नही जगता जमीरदिल में है इतना ड़रबहुसंख्य होकर भी शक्तिहीन हो क्योंकि अधिकारोंसेतुम्हारी नजर है हटी । १।अपने काम में रहते हो मस्त, शाम सबेरे जलाते होअंगारेसोचने का समय नहीं है , रातदिन व्यर्थ गिनते हो तारेक्या सचमुच लगता है तुम्हारी जिंदगानी दुसरोंसे है अनुठी ।२।अपने आस पास देख लो नजर उठाके तुमने अपनी आंखे कर रखी क्यों बंद ?दिखता नहीं पिछडापन, तुम किसकी ढाल हो तुमारा उची जात वालों से क्या है संबंध ?इस युग में संभलना है,चढना है, पढना है,पढकर चढना है प्रगति की चोटी । ३।ये भेदभाव छुआछुत पाप है,तुमने कभी किया क्या हैपवित्रउसके वास्ते तुमने अपने घर में कितनी बार छिडकाहोगा इत्र (मुत्र)कोशिश करो सच को जानने की, पहचानने की क्योंरखते हो आस झुठी ।४।
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