
मन के रोगी करते मन की
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Category : Poems
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मन के रोगी करते सदा ही मन की बातमुस्काकर छुपाते है नाखुन और दात ।।बातें उनकी लंबी लंबी लगती जैसे छांवपर रातमें दिया बुझाए डुबाते जीवन की नावसोचों यारों जीवन में आयी क्यों कैसे काली रात ।आम जनता के हक को रौंदे पिठपर करते वारपांच किलो राशन और देते दाल तेल की धारमस्त रहो तुम गालों गाना कर लो उनका साथ ।अपने पैरोंपर मार लो कुल्हाडी करके चापलुसीइतिहास में लिखा जायेंगा नाकारा और बदमाशीरंगीन सपने देख दिखाकर कटा लो अपना हाथ ।सच तो ये वक्त है मिलजुकर आगे बढ़ने कासंसार को सुन्दर सुखमय सुजल सुफल बनाने कालेकिन पाखंडी शासन में छुपकर करते है घात।मजलुमों गरिबों एक हो जाओ खोलकर अपनी आंखेंअर्बन नक्सल के बहाने तैयार है तुम्हारे लिए सलांखेंपर ना घबराना खुद की मानना खोने के लिए क्या है तुम्हारे पास।पर ना घबराना तुम भविष्यके वास्ते कर लो दो दो हात।स्वार्थ में होकर अंधा मत खालो उनका दिया हुवा खरबुजाउनके मनमें क्या है समझलो हो सकता है कोई भाव है दुजाअपने दम पर लालो तुम लढकर पढकर अधिकारोंकी सौगात ।
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