ओ लूट रहा है तुम्हें.. Read Count : 514

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ओ लूट रहा है तुम्हें , तुम करो कष्ट कष्ट 
ओ  योजना बना रहा है तुम रहो मस्त मस्त ।।

 बिचोलीया, व्यापारी कहो या कहो लिडर,  कंपनी धारक
 है सब एक , तुम्हे है मारक  तुम्हारा नहीं कोई तारक 
 तुम बली हो नाहक  छिना जा रहा तुम्हारा हक
 होने वाले हो  तुम  पस्त पस्त ।।

      आंखे मुंदकर तुम लोगोंने गुलामी अपनायी 
      देखो ये नौबत आयी, तुम्हारा भगवान  हरजाई 
      वीरोंकी कुर्बांनी व्यर्थ गयी
 जिन्होंने आज़ादी दिलवायी     
आजसे आगे धन और घर तुम्हारा जो बचा
  होगा ध्वस्त ध्वस्त ।।
 

तुम्हें पता नही तुम्हारा १५ बनाम ८५ का स़घर्ष
तुम थे अस्पर्श, कभी न किया तर्क, आज हो रहे समर्थ 
तो ओ ला रहे बंधन विकल्प चढा रहे तुम्हारा अर्घ्य 
उनका जुनून बना है भेदभाव, स्वार्थ, होकरभी मर्त्य 
तुम होनेवाले हो परास्त परास्त ।।

        तुम भी उनके खेमेमें शामिल हो गये हो क्या 
        पुछो खुदसे तुमभी बदल गये हो क्या 
       अपनोंका शिक्षा रेजगा़र स्वास्थ्य बचा पा रहे हो क्या 
        अंधोंकी इस नगरी में तुमभी सो रहे हो क्या 
        सदियोंसे तुम्हारा चमन लुटा जा रहा 
        तुम पर नजर रखने नेट पर ओ कर रहे गस्त गस्त ।।

तुम्हें उठना होगा मूल कारण ढुंढना होगा
उनका शक्तिस्थल तुम्हें पहचानना होगा 
तुम्हे आलस और स्वार्थ को छोड़ना होगा
नया लिड़र जो तुम्हारा हो चुनना होगा
उनके ब्रह्मास्त्र -ए- मशीन को तोड़ना होगा
भोर को लाने तुम करो आगे अपना हस्त हस्त ।।

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