
ओ लूट रहा है तुम्हें..
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Category : Poems
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ओ लूट रहा है तुम्हें , तुम करो कष्ट कष्टओ योजना बना रहा है तुम रहो मस्त मस्त ।।बिचोलीया, व्यापारी कहो या कहो लिडर, कंपनी धारकहै सब एक , तुम्हे है मारक तुम्हारा नहीं कोई तारकतुम बली हो नाहक छिना जा रहा तुम्हारा हकहोने वाले हो तुम पस्त पस्त ।।आंखे मुंदकर तुम लोगोंने गुलामी अपनायीदेखो ये नौबत आयी, तुम्हारा भगवान हरजाईवीरोंकी कुर्बांनी व्यर्थ गयीजिन्होंने आज़ादी दिलवायीआजसे आगे धन और घर तुम्हारा जो बचाहोगा ध्वस्त ध्वस्त ।।तुम्हें पता नही तुम्हारा १५ बनाम ८५ का स़घर्षतुम थे अस्पर्श, कभी न किया तर्क, आज हो रहे समर्थतो ओ ला रहे बंधन विकल्प चढा रहे तुम्हारा अर्घ्यउनका जुनून बना है भेदभाव, स्वार्थ, होकरभी मर्त्यतुम होनेवाले हो परास्त परास्त ।।तुम भी उनके खेमेमें शामिल हो गये हो क्यापुछो खुदसे तुमभी बदल गये हो क्याअपनोंका शिक्षा रेजगा़र स्वास्थ्य बचा पा रहे हो क्याअंधोंकी इस नगरी में तुमभी सो रहे हो क्यासदियोंसे तुम्हारा चमन लुटा जा रहातुम पर नजर रखने नेट पर ओ कर रहे गस्त गस्त ।।तुम्हें उठना होगा मूल कारण ढुंढना होगाउनका शक्तिस्थल तुम्हें पहचानना होगातुम्हे आलस और स्वार्थ को छोड़ना होगानया लिड़र जो तुम्हारा हो चुनना होगाउनके ब्रह्मास्त्र -ए- मशीन को तोड़ना होगाभोर को लाने तुम करो आगे अपना हस्त हस्त ।।
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