
थुंकता हू उनपर
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Category : Poems
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थुंकता हू उनपर षडयंत्रकारी है जिन्होंने बंद कराये स्कूलसमाजसेवक कैसे कहे जानबुझकर कर ली उन्होंने भूल ।।चंद पैसोंकी खातीर ओ बर्बाद करने चले पिढीच्याये लोगों समझो इनके इरादें खोल दो इनकी नाडियाये भ्रष्टाचारी सत्ता में बैठे गिर गये इनके बनाये पूल ।1।इनके हातोंसे कितने मरे मासूम कितनोंको डाला जेलआय टी, इ डी का धाक दिखाए करते है झोल मेलगुंडो को पाले , ब्यापारीयोंके वास्ते इन्होंने बनाये रूल ।।समस्याओंकी जड़ इनकी खोपड़ी, योजनाएं खानेको बनाएअच्छी सड़के खोद डाली बेच डाल़ी ,आत्मा सरकारी खज़ाना खाएकानून को जखडा अजग़रने,गर्दभ बना है शेर पीठपर लादे झूल ।।शिक्षा पे संकट छाया कारण सत्ताके दलाल, कंपनीकरणका सायाशिक्षा के मंदिर को नष्ट किया जिन्होंने मंजूर जागतिकीकरण कियाशिक्षा को बचाना था जो जनता और देश के प्रगतीका है मूल ।।***. ******
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