थुंकता हू उनपर Read Count : 1161

Category : Poems

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थुंकता हू उनपर षडयंत्रकारी है जिन्होंने बंद कराये स्कूल 
 समाजसेवक कैसे कहे जानबुझकर कर ली उन्होंने भूल ।।

चंद पैसोंकी खातीर ओ  बर्बाद करने चले पिढीच्या 
ये लोगों समझो इनके इरादें खोल दो इनकी नाडिया 
ये भ्रष्टाचारी सत्ता में बैठे गिर गये इनके बनाये पूल ।1।

इनके हातोंसे कितने मरे मासूम कितनोंको डाला जेल
आय टी, इ डी का धाक दिखाए करते है झोल मेल 
गुंडो को पाले , ब्यापारीयोंके वास्ते इन्होंने बनाये रूल ।।

समस्याओंकी जड़ इनकी खोपड़ी, योजनाएं खानेको बनाए 
अच्छी सड़के खोद डाली बेच डाल़ी ,आत्मा सरकारी खज़ाना खाए 
कानून को जखडा अजग़रने,गर्दभ बना है शेर पीठपर लादे झूल ।।

 शिक्षा पे संकट छाया कारण सत्ताके दलाल, कंपनीकरणका साया
शिक्षा के मंदिर को नष्ट किया जिन्होंने मंजूर जागतिकीकरण किया
शिक्षा को बचाना था जो जनता और देश के प्रगतीका है मूल ।।
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