फ़िर भी बचा रह जाता ह% Read Count : 21

Category : Poems

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फ़िर भी बचा, रह जाता है ।
 यह कैसा, प्रेम का नाता है?
कितनी भी ,अनबन हो चाहे ।
यह पुनः ,लौट कर आता है।
जितना बचना ,चाहें इससे ।
यह उतना, बढ़ता जाता है।
हटाकर घृणा, को यह पुनः।
अपना स्थान, बनाता है ।
सबकी चालों, को सहकर भी।
यह हर क्षण , बढ़ता जाता है।
सारे द्वेषों के ऊपर यह ,
विजय सदैव ही पाता है।
यह कैसा,प्रेम का नाता है?

Mrs Pragati Dutt 
Aligarh Uttar Pradesh 

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