
भटक रहे हैं लड़के अब भ%
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Category : Poems
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भटक रहे हैं लड़के अब भौकाल मचाने वाले ।
काजल देख के उन आँखों का हाल बताने वाले ।
गांव की पगडण्डी से लेकर शहरों की फूलवारी तक,
सिंच रहे हैं सबको, रोटी दाल कमाने वाले ।
सपने साधन से अपने वो दूर हो जाते हैं,
दूर हो जाते हैं खुद से भी प्यार निभाने वाले ।
इश्क़ में पड़ने वाले अब वो चुपके से रो लेते हैं,
सब कुछ सह जाते हैं अब वो गाल बजाने वाले ।
बात हो जाती है जब उनसे मन ही मन खिल जाते हैं,
इक लड़की के प्यार में सब न्यौछावर करने वाले ।
बड़े सलीके से रहते हैं छोड़ दिया आवारापन,
बात बात में प्यार की खातिर लड़ भीड़ जाने वाले ।
सब कुछ सुनते कुछ ना कहते सहमे सहमे लगते हैं,
उनके झुमके से अपना प्रतिबिम्ब बनाने वाले ।
~ धीरेन्द्र पांचाल
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