
तु चांद सितारों की %E
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Category : Poems
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तु चांद सितारों की बात ना कर तेरे दामन में दाग हैजनता है प्यांसी बद्हवासी निवालों की कमी पेट़में आग है।चांद्रयान का तुम लोगोंने जश्न बहुत मनाया हैस्मार्ट सिटी का सपना दिखाकर बहुत बरगलाया हैपंधरा लाख और बुलेट ट्रेन का बम भी बहुत फोड़ा हैजनता जान गयी उनके प्रगति का कौन रोडा़ हैपुरानोंकी बात छोड़ लोग जानने लगे हैं सच कौन विषैले नाग है।सदियोंसे भारत को तुम लोगोंने पिछ़ड़ा बना के रखा हैदिमाग़ में गोबर अंधविश्वास विषैला फन फैलाके रखा हैजनताको गरीब बना कर खुद़ मलाई सदाही चखा हैरचना और नियम कर कर वसुला, किया जनता के साथ धोखा हैमानवता के चेहरे पर जुता फेकनेवाला तेरा बद् दिमाग है।लोग़ पहचानने लगे हैं तुम्हारी रचनाऍं झुठका एक समुंदर हैकपोल कल्पित कहानियोंका एक अनंत अनसुलझा भंड़ार है इन्सानके दिमाग़ को कुंठित, गुलाम करने वाला जादूगार हैआज सुलझने लगा तेरा बिछाया जाल जो इन्सान का हत्यारा हैसदियों से इन्सानीयत को लगा हुवा तू एक खूद रोग़ है ।तू डरपोक है सच्चाई से डरता है, मेहनत से डरता हैअमरबेल है तू लगा एक रोग़ इन्सानीयत को चट करता हैमेरे भारत का सपना संपन्न बनने का उसमें तू रोड़ा हैतुने ही ईश्वर और धर्मके नाम पर समाज को सदा तोड़ा हैलोग़ समझने लगे है तेरे विकास क्या छप्पन भोग़ है।******** ****
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