ए हो परिंदा
Read Count : 118
Category : Poems
Sub Category : N/A
बोलबा त मारल जइबा ,बोलबा त मारल जइबा ,बनबा जे बागी हो ।भभका ना दियनी लेखा सूरज के आगी हो ।।उड़बा जे ए हो परिंदा,पंखिया जर जाइ हो ।बाबू से कहिके लेला ठेला किनवाई हो ।।बेचिहा तू चाय परिंदा , डिगरी जराई हो ।पुलिसन के चाय पियईहा जइसे भउजाई हो ।।करबा तू जसहीं जादा , जरिको कमाई हो ।अठरह परसेंट GST तुरते लग जाई हो ।।घिउवा के आस न करिहा , मेवा मलाई हो ।दाल रोटी राम चलइहें देखा ढिठाई हो ।।एगो ला बात परिंदा , खूंटे गठियाई हो ।रवना फुकवना देहि पंखिया कटवाई हो ।।बोलबा त मारल जइबा ,बनबा जे बागी हो ।भभका ना दियनी लेखा सूरज के आगी हो ।।✍🏻 धीरेन्द्र पांचाल
Comments
- No Comments