ए हो परिंदा Read Count : 87

Category : Poems

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बोलबा त मारल जइबा ,
बोलबा त मारल जइबा ,बनबा जे बागी हो ।
भभका ना दियनी लेखा सूरज के आगी हो ।।

उड़बा जे ए हो परिंदा,पंखिया जर जाइ हो ।
बाबू से कहिके लेला ठेला किनवाई हो ।।

बेचिहा तू चाय परिंदा , डिगरी जराई हो ।
पुलिसन के चाय पियईहा जइसे भउजाई हो ।।

करबा तू जसहीं जादा , जरिको कमाई हो ।
अठरह परसेंट GST तुरते लग जाई हो ।।

घिउवा के आस न करिहा , मेवा मलाई हो ।
दाल रोटी राम चलइहें देखा ढिठाई हो ।।

एगो ला बात परिंदा , खूंटे गठियाई हो ।
रवना फुकवना देहि पंखिया कटवाई हो ।।

बोलबा त मारल जइबा ,बनबा जे बागी हो ।
भभका ना दियनी लेखा सूरज के आगी हो ।।

✍🏻 धीरेन्द्र पांचाल

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