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Category : Poems
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ये आदमी नही दरिंदा हैये देस बिक्रेता अंधा है।मनुवाद से ग्रसित कलंकित चंदा हैकमिशनखोरी इसका धंधा है।ये नरभक्षक परिंदा हैइससे लोकतंत्र शर्मिंदा है ।न्यायतंत्र भी गंदा हैदेशभक्तोंके लिए फंदा है।पहचानो इसे ये चुनिंदा हैईवीएम से ही ये जिंदा है।Ban Evmजय जवान जय किसान।
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