
हम उस देश के वासी
Read Count : 72
Category : Poems
Sub Category : N/A
हम उस देश के वासी है ,जीवन के प्रवासी है ,भारत के मूलनिवासी है । ।जहाॅपर इन्सॉ मरते हैपरिंदे यहॉपर उडते है ।झूठ यहाँ पर पचता हैसच यहाँ पर दबता है ।सिमापर जवान मरते हैलिडर किमत तोलते है ।नारी यहॉपर गुलाम हैसर किसानोंका कलम है ।मटके का पानी हराम हैजाती का बड़ा नाम है ।दुध यहॉपर बहाते हैप्यासे बच्चों को मारते है ।लोगों के मन मन बंदीस्त हैनेता भी जातीयवाद से लिप्त है ।ये कैसा अनोखा देश है?कलंकित कलुशीत परिवेश है ।पढ़ेलिखे यहाँ स्वार्थी हैइक-दुसरोंके भक्षार्थी है ।सब झंडे के गुलाम हैपैसे को यहॉ सलाम है ।लिड़र यहॉ पर लुटते हैओटर्स यहाँपर बिकते है ।हर पग पर लुटेरें हैमास्क पहनाये चेहरे है ।एजंट बनके आते हैग्राहकोंको रिझाते है ।इंटरनेट एक हतियार हैसब लुटने को तैयार है।एज्युकेशन यहॉ बाजार हैविदेशियोंके हात चेअर है ।कितना भी सुलझाओ अनसुलझा हैक्योंकि मिलीभगत का साझा है ।लिड़र और व्यापारी एक हैचलाते हतियार फेक है ।सारी जनता त्रस्त हैफिर भी मोबाइल में मस्त है।स्वीसबैंकमें धन हैमेरा भारत महान है।गरीब आधा पेट सोता हैमजदुरी के लिए रोता है।निम्नोंपर अन्याय होता हैऔर न्याय तंत्र रोता है।सब ईवीएम से गुलाम हैआम आदमी का काम तमाम है।जातीयवाद कदम कदम पर हैदिखता नही लेकिन चरमपर है ।चांद-सितारोंकी बात होती हैदलितों को रौंदकर जाती है।यहॉ खैरलांजी आशिफा होती हैमनुस्मृती से व्यवस्था चलती है ।ये कैसा लौट आया दौर हैकौन जिम्मेदार है ?