हम उस देश के वासी Read Count : 91

Category : Poems

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हम उस देश के वासी है , 
जीवन के प्रवासी है , 
भारत के मूलनिवासी है  ।  ।
जहाॅपर इन्सॉ मरते है
परिंदे यहॉपर उडते है । 
झूठ यहाँ पर पचता है
सच यहाँ पर दबता है  ।
सिमापर जवान मरते है 
लिडर किमत तोलते है ।
नारी यहॉपर गुलाम है
सर किसानोंका कलम है । 
  मटके का पानी हराम है
जाती का बड़ा नाम है ।
दुध यहॉपर बहाते है
प्यासे बच्चों को मारते है । 
लोगों के मन  मन बंदीस्त है
नेता भी जातीयवाद से लिप्त है ।

ये कैसा अनोखा देश है? 
कलंकित कलुशीत परिवेश है । 
पढ़ेलिखे यहाँ स्वार्थी है
इक-दुसरोंके भक्षार्थी है ।
सब झंडे के गुलाम है
पैसे को यहॉ सलाम है । 
लिड़र यहॉ पर लुटते है
ओटर्स यहाँपर  बिकते है । 
हर पग पर लुटेरें है
मास्क पहनाये चेहरे है ।
एजंट बनके आते है
ग्राहकोंको रिझाते है । 
इंटरनेट एक हतियार है
सब लुटने को तैयार है।
एज्युकेशन यहॉ बाजार है
विदेशियोंके हात चेअर है । 
 कितना भी सुलझाओ अनसुलझा है
क्योंकि मिलीभगत का साझा है । 
लिड़र और व्यापारी एक है
चलाते हतियार फेक है । 
सारी जनता त्रस्त है
फिर भी मोबाइल में मस्त है।

स्वीसबैंकमें धन है
मेरा भारत महान है। 
गरीब आधा पेट सोता है
मजदुरी के लिए रोता है।
निम्नोंपर अन्याय होता है
और न्याय तंत्र रोता है। 
सब ईवीएम से गुलाम है
आम आदमी का काम तमाम है।
जातीयवाद कदम कदम पर है
दिखता नही लेकिन चरमपर है । 
चांद-सितारोंकी बात होती है
दलितों को रौंदकर जाती है।
यहॉ खैरलांजी आशिफा होती है
मनुस्मृती से व्यवस्था चलती है । 
ये कैसा लौट आया दौर है
कौन जिम्मेदार है  ? 





Comments

  • 👏👍

    Aug 22, 2022

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