
आख़िर ऐसा क्या हुआ ?
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Category : Poems
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साथ थे हम ,थे जहा भी
पास थे या, दूर थे
आज हैं हम पास जितने
उतने ही अब दूर हैं
जाओ इतने दूर की
न कभी तुम्हें देख लूँ
इतना मुझको तुम बतादो
जाना अगर दूर था तो
मन को मेरा क्यों छुआ .
आख़िर ऐसा क्या हुआ ???
वक़्त गुज़रा बात हुई
हर बात ने इस मन को छुईं
बाहों में बाहें डाल के हम
सफऱ पे कितने गये
वो सफ़र भी ठहरीं है अभी
हर याद में हर बात में
आज क्यों हर बात अब वो
हो गया धुआँ धुआँ ......
आख़िर ऐसा क्या हुआ ????
शामें सुकून से सजें थे
रातें भी तो हसींन थीं
क्या कसमकस है जिंदगी
कभी मिले कभी जुदा
क्यों मिले यहाँ न जानें
क्यों तुम में जुदा हुआ ??
आख़िर ऐसा क्या हुआ ????
बिख़र सा गया है अब
जो ख्वाबों का घरौंदा था,
जहां बांटे थे कई दर्द अपने
और खुशियाँ भी मनाई थीं ,
आज उनके अवषेशो का
टापु सा बना हुआ ...
आख़िर ऐसा क्या हुआ ????
(Tarun)
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