कहवां जाइं
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Category : Poems
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ताना मारे मेहरी गारी देवेले भउजाई ,बोला कहवां जाइं ।अनपढ़ हमसे करें ढिठाई ,बोला कहवां जाइं ।प्यार के प ना जनलीं कब्बो गइनी ना मधुशाला हो ।करिया अक्षर करिए रह गइल दौड़ीं रोज शिवाला होसावन हव भकसावन लागे बुन्नी जस मरचाई ।बोला कहवां जाइं ।अनपढ़ हमसे करें ढिठाई ,बोला कहवां जाइं ।गंगा के समझउता दंगा कइले बा मझधार हो ।का होइ जे घर डूब जाइ बाटे ना रोजगार हो ।बित्ता भर क हवे खलित्ता छुच्छे गाल बजाईं ।बोला कहवां जाइं ।अनपढ़ हमसे करें ढिठाई ,बोला कहवां जाइं ।बेहया के ई फूल पफन के केतना खुश्बू पाई हो ।बस एतने किरपा कयी दा की सउख पूरा कर जाईं होन सुनबा त सोम्मारे के अबकी जहर खवाई ।बोला कहवां जाइं ।अनपढ़ हमसे करें ढिठाई ,बोला कहवां जाइं ।~ धीरेन्द्र पांचाल