मैंने  तुझसे  प्यार% Read Count : 97

Category : Stories

Sub Category : Romance


पता   नहीं   कुछ   तुमको   भी
ख्वाब  में  दिल   दे   दिया   था
मैं   देखता  था   तसवीर   रोज़
तुमको  अपना   कह  दिया  था

मैंने   तुझसे   प्यार   किया   था
मैंने   तुझको   चाहा   था।।

मैं   रोज़   उठकर   साएँ   से
तेरी   गली  में   गुजरता   था
फ़र्द   थे   यूँ   हम   मुसाफ़िर
इश्क   में   आह   भरता   था।

मैं  ले  लिए   थे  आहट तेरी
तेरे  दिल  में  यूँ  मचलता  था
क्या   जानें  तू   मुझको   भी
ये   तो  तुझपे    मरता   था।

मैंने   तुझसे   प्यार   किया   था
मैंने   तुझको   चाहा   था।।

नहीं   पता   तुझे   भी   अब
कितना बेचैन  मैं  रहता  था
ग़ैर  की  सूरत  जब   देखता
उसको   मैं  पकड़ता   था।

मैंने   तुझसे   प्यार   किया   था
मैंने   तुझको   चाहा   था।।

मैं   कितना   था   वहशत   यूँ
तेरे  प्यार  में  जुनूँ  भरता   था
पाने  की   ललक   थी   मुझमें
कभी  हँसता  कभी  रोता   था

थी   मुझमें   तू   समाई   हुईं
मैं   तुझे   हर   रोज   ढूँढता   था
ख्याल   था   वो   मिलेगी   मुझसे
 मैं   चुपके   से   यूँ   शरमाता  था।

मैंने   तुझसे   प्यार   किया   था
मैंने   तुझको   चाहा   था।।

अब   क्या   बताए   दिल   मेरा
 रब   से   दुआएँ  माँगता   था
 चाहा   था   रहे   पास   वो  भी
  तेरी   याद   में   फिसलता  था

मैंने   तुझसे   प्यार   किया   था
मैंने   तुझको   चाहा   था।।।



Comments

  • No Comments
Log Out?

Are you sure you want to log out?