ए बदरी
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Category : Poems
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सुखि गइलें पोखरा आ जर गइलें टपरी , ए बदरी ।कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।बनरा के पेट पीठ एक भइलें घानी ।कहा काहें होत बाटे राम मनमानी ।गोरुअन के बेटवा क पेटवा ह खपरी , ए बदरी ।कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।संझवा बिहनवा में कमवा न सपरी ।होते दुपहरिया भुजाई जालीं मछरी ।नदिया में अगिया लगाई देलु जबरी , ए बदरी ।कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।करकेला मनवा मसकी जाला देहियां ।रोवलो न जाला की मसान भइल अंखिया ।लोरवा बहाईं ना सहाई आंख कजरी , ए बदरी ।कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।सियरा हथिनिया आ बघवा के बात बा ।तोहके बोलावे ला ई बनवा छोहात बा ।मेघवा बोलावें त अमांय जालु गगरी , ए बदरी ।कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।बोला काहें भकुआय गइलू ए बदरी ।देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।✍️ धीरेन्द्र पांचाल
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