
कौन आएगा
Read Count : 127
Category : Poems
Sub Category : N/A
है धरा उदघोष करती लालिमा आकाश की ।शुष्क होते ताल पोखर क्यों प्रतीक्षा प्यास की ।चूक गया गर आज फिर तु कल कहाँ से पाएगा ?खुद उठो तिनके जुटाओ , घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ?यह जमाना है तेरे संग जब तलक तू होश में है ।हो जरा मगरूर तू क्यों बेवजह ही जोश में है ।खंडहर में रौशनी तू फिर कहाँ से लाएगा ?खुद उठो तिनके जुटाओ , घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ?बस्तियों में आग लगते हैं दिए जलते नहीं ।झोपड़ी में ध्यान देना मोम तक गलते नहीं ।पत्थरों पर दोष मढ़ने कौन जाएगा ?खुद उठो तिनके जुटाओ , घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ?खोल अपने पंख तुझको है बुलाता आसमां ।हौसलों को दे दिशा तू चल हवा आजमा ।डूबते सूरज के किस्से कौन गाएगा ?खुद उठो तिनके जुटाओ , घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ?✍️ धीरेन्द्र पांचाल
Comments
- No Comments