Insan
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ना कोई अमर फरिश्ता है ना स्वर्ग का सुल्तान है तू।बन्दे अपनी हद में रहो भगवान नहीं इंसान है तू।।कब कोई आंधी आ जाए कब तू बाढ़ में बह जाएक्या पता इस जीवन में कब तुझ पर बादल छा जाएदलदल सी इस दुनिया में कच्ची नींव का मकान है तूबन्दे अपनी हद में रहो भगवान नहीं इंसान है तू।।मैं मैं कि माला फेर रहा इज्ज़त कि बाजी खेल रहाये तू नहीं प्यारे रब जाने यहाँ कौन किसको झेल रहाकिराये कि इस दुनिया में जजमान नहीं मेहमान है तूबन्दे अपनी हद में रहो भगवान नहीं इंसान है तूइस पल तू धरती पर अगले पल तू छू मंतरझकजोर के अपने ह्रदय को तू जान समय का अंतरइस जीवन मरण के सौदे मे कुबेर नहीं कंगाल है तूबन्दे अपनी हद में रहो भगवान नहीं इंसान है तू।।ना कोई अमर फरिश्ता है ना स्वर्ग का सुल्तान है तू।बन्दे अपनी हद में रहो भगवान नहीं इंसान है तू।।~~नितिश पांचाल
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