मेरे सपने Read Count : 52

Category : Poems

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सपने मेरे बड़े हैं। 
बहुुतसी उलझनों मे पड़े  हैं 
फिर भी जिद पे अड़े हैं 
सपने मेरे बड़े हैं।। 

तानो, नाकामयाबियों जैसे पत्थर 
मुझपर पड़े हैं 
फिर भी हर चुनौतियों में सहजता 
से लड़़ेे हैं 
सपने मेरे बड़े हैं।। 

अपना कहने वालों, साथ चलने वालों 
की कतारें बड़े हैं 
पर बुरे समय मे पाया कि केवल 
माता -पिता ही साथ खड़े हैं, 
शायद यही देता है मन को साहस 
जिससे हम भी लाखो संघर्षों 
मे अपना मुक़ाम पाने को 
अड़़े हैं, क्योंकि 
सपने मेरे बड़े हैं।। 
                           ------ अजीत मिश्र
                          

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    Jun 23, 2022

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