पगली लड़की
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Category : Poems
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वो पगली लड़की मिलके कहती थी मुझसे
जब जिंदगी लगे बैरंग तो मिलने आ जाना मुझसे
अपने उदासी केे लम्हों में मुझे भी शामिल कर लेना
तेरे कुछ आंसू मैं पोंछोगी कुछ तुम पोंछ लेना
यदि मन करें मिलने का तो मुझे पुकार लेना चुपके
मैं दौङकर प्रिय तेरे दिल में बस जाउंगी चुपके
कभी तुम भी अपने हाथों से पायल मुझे पहना देना
तुमसे यदि मैं रूठ जाऊं तो चुपके से गले लगा लेना
जुदाई के समुद्र में खड़ी वो अब किस ख्याल में होगी
वो पगली लड़की ना जाने अब किस हाल में होगी |
यादों का दरिया बह गया अब प्यास बची है आँखों में
उसकी तस्वीर सीने लगा अब अश्क पीता हूँ रातों में
उसकी पायल का शोर अब कहीं गुम हो गया है
लगता है उसका दीदार करना अब मुश्किल हो गया है
उसके बिछङने से भूख प्यास भी मुझसे जुदा हो गई
वो ख्वाब थी मेरा बस ख्वाब बनकर ही बह गई
ख्वाबों केे मोड़ पर मैं बैठ जाता हूं उसके इंतज़ार में
जब ना आये उसकी ख़ुशबू ,वापस खो जाता हूँ बिस्तर में
वो मछली की तरह तङपती अब किस जाल में होगी
वो पगली लड़की ना जाने अब किस हाल में होगी |
जहाँ पर बिताए प्यार केे लम्हें वो तट याद आता है
अब वहाँ अकेला जाता हूँ तो वो फ़रियाद करता है
उसके बिन अब आँखों में नमी हंसी लबों पर रखता हूँ
वो आएगी मुझसे मिलने इसलिए खुद को जिन्दा रखता हूँ
मैं अपना मायूस चेहरा देखने से अब हर पल डरता हूँ
इसलिए अब मैं खुद को आइने से दूर रखता हूँ
मेरी आँखों में अब बस एक ही सवाल दौङता रहता है
जिन्हें बनाया एक दूजे केे लिए खुदा उन्हें क्यों अलग करता है
आँखों में बेबसी लिए वो अब किस ख्याल में होगी
वो पगली लड़की ना जाने अब किस हाल में होगी ||
© दिनेश चन्द्र हृदयेश ©