सुननी ह
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Category : Poems
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सुननी ह ,सुननी ह सिंहासन उधायल बाड़े सुननी ह ।।पढ़वइयन के पेटे प लात मारेन ।काटि हमहन के अंगूठा औकात नापेन ।सुननी ह ,उ त नसवा में खाली नसायल बाड़े सुननी ह ,सुननी ह सिंहासन उधायल बाड़े सुननी ह ।देवे बहिनीन के गारी पुलिस बारी बारी ।घुसी हॉस्टल में देवेन तुरी केवारी ।सुननी ह ,देश बेंचे में सब लपटायल बाड़े सुननी ह ।सुननी ह सिंहासन उधायल बाड़े सुननी ह ।कुल्ही खाईके भैकेंसी डकार मारेन ।लेके रामे क नाव अधिकार मारेन ।सुननी ह ,देखी रामो चरित्तर लजायल बाड़े सुननी ह ,सुननी ह सिंहासन उधायल बाड़े सुननी ह ।लीक परचा करावे में माहिर बाड़े ।उ त तारीख बढ़ावे में शातिर बाड़े ।सुननी ह ,अब त अगुओ न आवे नदायल बाड़े सुननी ह ,सुननी ह सिंहासन उधायल बाड़े सुननी ह ।सुननी ह सिंहासन बगायल बाड़े सुननी ह ।✍️ धीरेन्द्र पांचाल