सुननी ह Read Count : 120

Category : Poems

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सुननी ह , 
सुननी ह सिंहासन उधायल बाड़े सुननी ह ।।

पढ़वइयन के पेटे प लात मारेन । 
काटि हमहन के अंगूठा औकात नापेन ।
सुननी ह ,
उ त नसवा में खाली नसायल बाड़े सुननी ह ,
सुननी ह सिंहासन उधायल बाड़े सुननी ह ।

देवे बहिनीन के गारी पुलिस बारी बारी ।
घुसी हॉस्टल में देवेन तुरी केवारी ।
सुननी ह ,
देश बेंचे में सब लपटायल बाड़े सुननी ह ।
सुननी ह सिंहासन उधायल बाड़े सुननी ह ।

कुल्ही खाईके भैकेंसी डकार मारेन ।
लेके रामे क नाव अधिकार मारेन ।
सुननी ह ,
देखी रामो चरित्तर लजायल बाड़े सुननी ह ,
सुननी ह सिंहासन उधायल बाड़े सुननी ह ।

लीक परचा करावे में माहिर बाड़े ।
उ त तारीख बढ़ावे में शातिर बाड़े ।
सुननी ह , 
अब त अगुओ न आवे नदायल बाड़े सुननी ह ,
सुननी ह सिंहासन उधायल बाड़े सुननी ह ।
सुननी ह सिंहासन बगायल बाड़े सुननी ह ।

✍️ धीरेन्द्र पांचाल

Comments

  • 👍👍👍👍👍💯💯💯

    May 09, 2022

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