हनुमंता
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Category : Poems
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ढांढस बन्हाई के जोहाई समुझाई के त शक्ति के भान उ करउलैं जमवंता ।साहस न बाटे केहू तोहरा के रोके टोके छेके डाँड़ डहरी हो चाहे भगवंता ।सिया सुधि लेहि आवा देरी ना लगावा त ले सगरे प पुल दु बनइहें अभियंता।पवन क पूत रउआ शिव जी क अंश बानी सूरज के तेज लबरेज हनुमंता ।
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