हनुमंता Read Count : 83

Category : Poems

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ढांढस बन्हाई के जोहाई समुझाई के त शक्ति के भान उ करउलैं जमवंता ।
साहस न बाटे केहू तोहरा के रोके टोके छेके डाँड़ डहरी हो चाहे भगवंता ।
सिया सुधि लेहि आवा देरी ना लगावा त ले सगरे प पुल दु बनइहें अभियंता। 
पवन क पूत रउआ शिव जी क अंश बानी सूरज के तेज लबरेज हनुमंता ।

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