बदरिया Read Count : 98

Category : Poems

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चान छुपउले जाली कहवाँ , घुँघटा तनिक उठाव ।
बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।

झुलस रहल धरती के काया छाया ना भगवान लगे ।
तोहरे बिना ये हो बदरी सब कुछ अब सुनसान लगे ।
लह लह लहके रेह सिवाने कातर नजर हटाव ।
बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।

पेंड़ कटत बा निशिदिन चिरईन के खोतवा बिरान भइल ।
खेत कियारी नदी कछारी सगरों जस शमशान भईल ।
जार रहल बा देहियां सूरज के तनिका समुझाव ।
बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।

गोरुअन के सुबिधा के दुबिधा घास खंचोली पाईं ना ।
गाय के थाने दूध ना उतरे दुःख बतावल जाई ना ।
पुरुवा के संग चुरुवा रोपले ठाढ़ ह पूरा गांव ।
बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।

अइसन का भकुआय गयल बाड़ू हमके समुझावा ।
हिय में कउनो पीर होखे त आवा बइठ बतावा ।
सुख दुःख मिलके बाँट लिहल जाइ पिपरा के छाँव ।
बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।

✍️ धीरेन्द्र पांचाल

Comments

  • I would love to know what is says but I can only read in the English language.

    Apr 05, 2022

  • Apr 12, 2022

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