लंका में बजरंगबली
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Category : Poems
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( रावण की सभा में हनुमान जी अपने माता का स्मरण करते हैं )सनेह दिहे न कलेस दिहे न बिदेश में तू बिमलेश लुटाए ।हे माई गोहार ह तोसे हमार आशीष से तू हमके दुलराए ।ब्यथा में कथा का सुनाई तोहें मोरे नाव क भाव न गिरे उठाए ।पोंछ जरे त जरे न जरे मोर मोछ रे माई तू लाज बचाए ।आशीष भी ह शुभाशीष भी ह तू तपिश में ना तनिको अकुलाए ।दशकंध घमण्ड उखाड़ी देहे न पछाड़ी भगे न तनि घबराए ।राम क नाम लिहे सरेआम तू काम कुल्हि ओनही से कराए ।हे लाल कमाल करे भरपूर तू पूत हमार हंसी न कराए ।✍️ धीरेन्द्र पांचाल