नन्ही गौरैया Read Count : 132

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बैठी इक डाल पर समंदर किनारे
एक छोटी नन्ही गौरैया‌।
 ना जाने छोटे से दिल में
क्या अरमान पाले बैठी है
यह नन्ही चिड़िया।।
आशाओं से दीप्त
वह नैनों के दीपक से
देख रही है शांत, गंभीर हो 
उस अनंत गहरे सागर को
 जिसके पार खड़ा है
 उसके सपनों का महल
पुकारता है उसे अपनी ओर।।
पर सुबह से शाम ढलने को आई
और वह एकटक सी देखती रही
 उस विशाल सागर को
उसने उठती गिरती लहरों को
जो डराती थरथराती है उसे।
कभी सागर तो कभी आकाश को निहारती
वह सागर में समा जाने की आशंका से कांपती।
किसी मदद की आस में बैठी है,
ड‌री सहमी सी वह,
अपने पंखों को सिमटाए बैठी है।
भरोसा नहीं उसे अपने परों पर
कि वह इतने फासलों तक
 उड़ान भर पाए।
वह साहस न जुटा पाई
इस तरह ना जाने
कितनी शाम ढली कितनी रात आई।
आखिर एक सुबह भी आई
उसके अरमान ने फिर हिलोरे मारे
दूर खड़े महल ने फिर उसे झकझोरा
और चीं-चीं की आवाज के साथ
बिना भय, सिर्फ उम्मीद के संग
 उड़ी चली वह आकाश में
 अपने पंखों को फैलाए।।
                  -सुकृति

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  • Jan 10, 2022

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