साहब
Read Count : 116
Category : Poems
Sub Category : N/A
इन वर्दियों में कौन से धागे लगाते हैं ।गर्मियां वे बस गरीबों पर दिखाते हैं ।ठेलों से उठा लेते हैं वो अंगूर के दाने ।जैसे बाप का हो माल वैसे हक जताते हैं ।सरपट बैठ जाते हैं दरोगा पांव में जाकर ।इन्हें सफेद धागे से बने कुर्ते नचाते हैं ।गलतियां मुफ़लिस की थी हक मांगने आया ।हर इतवार अब साहब उसे थाने बुलाते हैं ।गांधी की टंगी तस्वीर थाने मुस्कुराती है ।गालियाँ साहब की उनको गुदगुदाती है ।✍️ धीरेन्द्र पांचाल
Comments
- No Comments