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फुलझड़ियों  के पैसे तुम भी ,
कर दो दान दिवाली में ।।
ख़ुद के हाथों  बिक ना जाए ,
स्वाभिमान दिवाली में ।।
बच्चों के इस भूखे तन को ,
किस मज़हब का चादर दूँ।।
सड़क  किनारे  सिसक  रहे थे  ,
कूड़ेदान  दिवाली में ।।

मिष्ठानों का वितरण कर तुम ,
पा गए मान दिवाली में ।।
भूखे   कंधे  आकर  मिलते  ,
हैं   शमशान  दिवाली  में ।।
छप्पन   इंची  वाले   सिने   ,
पर  कैसे  अभिमान  करूँ ।।
बिलख  रहे  थे  देख  के  हालत  ,
कूड़ेदान  दिवाली में ।।

✍🏻धीरेन्द्र पांचाल .........

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  • Oct 31, 2021

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