
नयका साल मुबारक
Read Count : 161
Category : Poems
Sub Category : N/A
बीत गयल जे बीते वाला साल तोहें मुबारक ।फिर से आयल नयका चुड़ा भात तोहें मुबारक ।फिर से आई खिचड़ी मंटर गोभी संग छउँकाई ।नयका फगुआ सरसो संगे माहो लेहले आई ।तीसी मसुड़ी दुन्नो संगवे फिर से ली अंगड़ाई ।गेंहू के भी लागे असों दाम अकाशे जाई ।ससुरारी के ढूंढा तिलवा , लात तोहें मुबारक ।फिर से आयल नयका चुड़ा भात तोहें मुबारक ।बुढ़िया माई के नईहर से नयका आलू आई ।बईठ दुआरे कउड़ा बारी आलू भुज खवाई ।सिलबट्टा के अगुआई से मंटर बनी निमोना ।धनिया अउर टमाटर के फिर स्वाद भेटाई दूना ।देखनहरुन के आवाजाही घात तोहें मुबारक ।फिर से आयल नयका चुड़ा भात तोहें मुबारक ।✍️ धीरेन्द्र पांचाल
Comments
- No Comments