
बाबा अड़भंग
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Category : Poems
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हउवे अड़भंग पिये गांजा अउरी भंग अंग भभूत रमावेला ।करिले गोहारि छोड़ी हिम के पहाड़ी उ त भागि चलि आवेला ।राखे भाल पे उ काल हवे रूप बिकराल राखे जटवा में अपना गंग ।भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।हवे बड़ी मजबूत ओके दिल अनकूत जउ मांगी पहुँचावेला ।करे हमरो उद्धार उ त आवे हर बार प्यार बहुते लुटावेला ।हवे गोड़वा उघार गरे सांप फुफकार बाटे देहियां बनउले बदरंग ।भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।नाही कवनो कमाई सुने सबकर दोहाई कइसे घरवा चलावेला ।रहे मड़ई लगाके सुते भुइयां बिछाके खाई भंगिया बितावेला ।कहें भूतवा पिशाच गुरु नाच नाच नाच नाचा बाबा होइ मस्त मलंग ।भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।तू ही बाबा महाकाल तोसे पूछे पांचाल कइसे भगिया संवारेला ।हे करुणानिधान हाई तोहरो बिधान हम्मे समझ न आवेला ।एगो बतिया बिशेष तोसे पुछि हम शेष कवन भंगिया में पावेला उमंग ।भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।✍️धीरेन्द्र पांचाल
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