बाबा अड़भंग Read Count : 148

Category : Poems

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हउवे अड़भंग पिये गांजा अउरी भंग अंग भभूत रमावेला ।
करिले गोहारि छोड़ी हिम के पहाड़ी उ त भागि चलि आवेला ।
राखे भाल पे उ काल हवे रूप बिकराल राखे जटवा में अपना गंग ।
भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।
भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।

हवे बड़ी मजबूत ओके दिल अनकूत जउ मांगी पहुँचावेला ।
करे हमरो उद्धार उ त आवे हर बार प्यार बहुते लुटावेला ।
हवे गोड़वा उघार गरे सांप फुफकार बाटे देहियां बनउले बदरंग ।
भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।
भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।

नाही कवनो कमाई सुने सबकर दोहाई कइसे घरवा चलावेला ।
रहे मड़ई लगाके सुते भुइयां बिछाके खाई भंगिया बितावेला ।
कहें भूतवा पिशाच गुरु नाच नाच नाच नाचा बाबा होइ मस्त मलंग ।
भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।
भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।

तू ही बाबा महाकाल तोसे पूछे पांचाल कइसे भगिया संवारेला ।
हे करुणानिधान हाई तोहरो बिधान हम्मे समझ न आवेला ।
एगो बतिया बिशेष तोसे पुछि हम शेष कवन भंगिया में पावेला उमंग ।
भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।
भंग अड़भंग अड़भंग अड़भंग ।

✍️धीरेन्द्र पांचाल

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