
पता तुम्हारा
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Category : Poems
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सर्द हवाएँ मुझसे पूछेंगी क्या बोलूंगा ।पता तुम्हारा किस पन्ने पर लिख लिख भेजूँगा ।लिख दूंगा मैं तन्हा खाली यादें उनकी हैं ।दीवारों पे पहरा दिल की रातें उनकी हैं ।कह दूँगा तुम खुद ही जाओ ढूंढो जानो तो ।खो ना जाना बीच भंवर में खुद पहचानों तो ।कह दूंगा मैं फिक्र करो तुम खुद के हालत की ।क्यों करते हो झूठे तुम भी बात वकालत की ।।सम्भव कैसे लिखना और मिटाना तेरी बात ।कितने सावन देखे होंगे आँखों की बरसात ।कैसे कह दूं साथ तुम्हारा अम्बर झूठा है ।इस धरती के सिरहाने से बादल रूठा है ।क्यों करना है बातें तुमको उस बेगाने से ।छूने को दिल करता तेरा लाख बहाने से ।पिट रहे हो दरवाजे तुम बन्द अदालत की ।क्यों करते हो झूठे तुम भी बात वकालत की ।।✍️ धीरेन्द्र पांचाल
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