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उस शब्द लिखना कितना सुखद होता है
मैंने लिख कर के जान लिया... 
कलम जब लिखने को चली तब 
मैंने खुद को पहचान लिया... 

मन के भाव व ह्रदय की उस पीड़ा को 
उन उदगारों को ही भांप लिया... 
दिल कितना गहरा घाव लगा है
अपना वो लहू गिरा तो नाप लिया... 

सब कहते हैं कि पढ़ना आसान है  
क्या सच में पढ़ना जान लिया ?... 
" किसी के दर्द जब तुम पढ़ पाओ " तो 
तब समझो की खुद को पहचान लिया... 

वो बिना शोर की आवाज़े ही 
बहुत दूर दूर तक जाती है... 
इनको तुम ज़ब सुन पाओ तो 
समझो की किसी का दर्द जान लिया... 

हमने तो सबको जाना सबको समझा
लेकिन हमने ये भी याद रहा.. 
खुद भी एक धरोहर हूँ
मैंने उसे ही लिखकर मान लिया.. 

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S.K.BRAMAN 

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