
पत्रकार
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में पत्रकार हूँ तपती दोपहर में , अँधेरी रात में या फिर बरसात में हमेशा तैयार हूँ में पत्रकार हूँ चाहे ख़ुशी हो या गम, हर जगह होते है हम जनता की आवाज की बुलन्द हुंकार हूँ में पत्रकार हूँ दौड़ता हूँ भागता हूँ लाता हूँ ढूंढ कर सच्चाई में फिर भी देखते है शक की निगाह से हमे, हर पीढ़ा सहने वाला में कलमकार हूँ में पत्रकार हूँ में चलता हु दिन रात , जलता हूँ हर बक्त तब कही समाचार बनते है उन्ही समाचारो से सजा में अख़बार हूँ में पत्रकार हूँ