नफरतों के दौर मे
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Category : Poems
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इस दुपहरी में चलते-चलते तपती हुईहर किसी को घने वृक्ष की छांव चाहिए...इस नफरतों के दौर में घुमते- घुमतेहर किसी को प्यार की बारिश चाहिए...चाहे इस ज़मीन पर आदमी हो या न होपर उस आसमान में मेरा परवर दिगार हैइस दुनिया में झूठ से लबालब भरी हैआज हर किसी को नेक दिल इंसान चाहिएS.K.BRAMAN