रुख़ हवाओं का मोड़ दिया हमनेसाथ जबसे उनका मिलासाथ तन्हाइयों का छोर दिया हमने।आलम क्या होती है खुशी कीये तब जाना उनके नाम से अपने नाम को जब जोड़ दिया हमने।
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