
छोटी-सी ज़िंदगी
Read Count : 158
Category : Poems
Sub Category : N/A
हमें हर चीज़ नई चाहिए,खाना हो, कपड़े हों, मकान हो,गाड़ी हो या कोई सामान हो,पर रिश्ते पुराने ढोने के आदी हो चुके हैं,क्योंकि उसके साथसंस्कार है, जाति है, धर्म है,वर्ग है, समाज है,प्रदेश है, देश है,तमाम बंधनों के उलझाव हैं,और छोटी-सी ज़िंदगी इन्हीं से शुरूऔर इन्हीं पर खत्म हो जाती है।।
Comments
- No Comments