बंजर जमीं सा तनहा ही फिर रहा था,जब से तुम आयी हो मुक़द्दर सँवर गया,बेरंग ज़िंदगी थी जिसे रंगो से सजा दिया,संग तुम्हारे दो कदम चले तो ख़्वाबों को नया आसमाँ दे दिया।S.K.BRAMAN
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