खाला खिचड़ी ए बबुआ Read Count : 145

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ससुरा के माड़ो के तू ही चनरमा ।।
मुँहवा फुलाय बाबू जईबा कहाँ ।
खाला खिचड़ी ए बबुआ खईबा कहाँ ।

बाथे कपार कहा मरचा घुमा दीं ।
गरमी लगत बा त बेना डोला दीं ।
साली सढ़ूआईन सब तोहे समझावे ,
खोदी सरहज त बबुआ लुकईबा कहाँ ।
खाला खिचड़ी ए बबुआ खईबा कहाँ ।

काहें खिसियाईल बाड़ा बोला तू हाली ,
सईकिल आ सिकड़ी के बात रहे खाली ,
हमनी के अइसे अँउजल जनि करा,
ना त मूसर के घुसर पचईबा कहाँ ।
खाला खिचड़ी ए बबुआ खईबा कहाँ ।

खाला हाली हाली तोहे अँगूठी पहिराय देब ।
हथवा के खातिर एगो घड़ियो मँगाय देब ।
सास ससुर बईठ सब तोहके मनावे ,
बाबू होखी निरदईया जईबा कहाँ ।
खाला खिचड़ी ए बबुआ खईबा कहाँ ।

ससुरा के माड़ो के तू ही चनरमा ।।
मुँहवा फुलाय बाबू जईबा कहाँ ।
खाला खिचड़ी ए बबुआ खईबा कहाँ ।

✍️ धीरेन्द्र पांचाल



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