ख़्याल...शाम का
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Category : Poems
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शाम का ख़्यालअक्सर शाम की तरह ही होता है,धीरे से आता हैऔर फिर यूं हीधीरे धीरे रात में समा जाता है,शाम का ख़्यालअक्सर शाम की तरह ही आता है।दिन भर की कड़ी धूप,जद्दोजहद,माथापच्ची,औरअफरातफरीके बादज्यों ही,शाम की किरणे अपनी लालिमा बिखेरती हैत्यों ही उसकी ठंडक की थाप लिएएक ख़्याल मन में आता है,कुछ देर मन रुक करअधरों की चुप्पी तोड़एक मुस्कान दे जाता है,शाम का ख़्याल,अक्सर शाम की तरह ही आता है।झूमती शाम जब,रात से मिलनेआतुर हो उठती हैठीक तभीये ख़्याल भीहमसे विदा लेअगले दिन की शुरुआत काख़्याल छोड़ जाता हैशाम का ख़्यालअक्सर शाम की तरह ही आता है।
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