
मेरी कोशिशे
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यू तो में अपने ख्यालों में हर रोज झाक ही लेता हूंतुम्हारा पता मिले न मिले पर में हर रोज तुम्हारा चेहरा पहचान ही लेता हूंतुम जहा हो वहा हमेशा खुश रहो वैसे भी अब जिंदगी में हर रोज किसी न किसी बहाने से गुजार ही लेता हूंकहना था तुमसे कुछ जो अभी तक बाकी रह गया हैं कोई नि तुम्हारे इंतजार को ही में हर रोज अपनी पहचान बना ही लेता हूंरूबरू हुए तुमसे जमाना कब बीत गया पता नि चला बस तुम्हारी इस कमी को हर रोज अपने दिल से मिलवा ही लेता हूंकभी तुमने कहा था हमसे की में तुम्हे कभी नि भूलूंगी लेकिन आज भी में हर रोज इस वादे को सच्चा मान ही लेता हूंकाश तुम मेरी मोहब्बत को समझ पाती फिर भी में इस नादान दिल को आज भी तुम्हारी तारीफे सुना ही देता हूंवैसे भूलने की कोशिश बहुत करता हूं तुम्हे पर क्या करूतुम्हारे बिना चलना तक नि सीख पाया अभी तक फिर भी लड़खड़ाते कदमों से ही सही पर खुद से चलने की कोशिश हर रोज कर ही लेता हूं
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