आसन नही होता..... Read Count : 72

Category : Poems

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आसन नहीं होता किसी को अपनाना,
दूसरो के रंग में ढल सा जाना...
अपने पराए का भेद भूल सा जाना.!
आसन नही होता यूं किसी पराए को अपनाना,
समय रहते बदलते रिश्ते निभाना...
उलझनों को सुलझाते जाना,
आसन नही होता किसी को यूं अपनाना,
उसकी आदतों को अपना बनाना,और कुछ 
उसकी आदते बदलना....
अपनी दिनचर्या इसे बदलना जैसे वो थी ही नहीं कभी
आसन नही होता किसी पराए को यूं अपनाना,
उसके मां बाप को परिवार को अपनाना मानना...
अपनी पहचान को बदलना ,
पिता के बाद अब पति का नाम लगाना ,
उसकी तकलीफों को अपना समझना
आसन नही होता एक लड़की होना ,
समाज के यूं कुछ सही तो कुछ खोखले ...
रिश्ते अपनाना 
जनाब,...........
आसन नही होता एक बेटी से बहु तक का सफर

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