अरे राम रे राम
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Category : Poems
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खात गरीबी लात इहाँ हव ,चिक्कन खाली बात इहाँ हव ।प्रतिस्पर्धा जात क हउवे ,झगड़ा खाली भात क हउवे ।अधिकारीन में बाँटल जाला ,देखा केतना के कमाला ।सबके सिधरी बाँट बरावे अपना खातिर बाम ।अरे राम रे राम ।रोजगार बेरोजगार क ,बात करेलन सरोकार क ।दिया देखावे देश क राजा ,तेल बेंच के ओकर खा जा ।अब त हमके इहे बुझाला ,रामराज बस हउवे हाला ।लपक के भेंटे सभे दशहरी , हमके लंगड़ा आम ।अरे राम रे राम ।जय नगर जय नगरपालिका ,ईंटा बेंचा चला द्वारिका ।देखा लाभ न सोचा हानि ।आपन चउचक रहें परानी ।सड़कन पे पानी भर जाला ,बादर देख देख शरमाला ।अंडा खा खा रोज नहालें गंगा में सरेआम ।अरे राम रे राम ।लूट मचल हव अस्पताल में ,जिनगी जइसे गइल खाल में ।डाक्टर साहब पेट दबावें ,हँस के ओके मरल बतावें ।लाश उठावे ठेला जाला ,एम्बुलेंस में भयल घोटाला ।अस्पताल में लइका लेके रोवें मंशाराम ।अरे राम रे राम ।✍️ धीरेन्द्र पांचाल
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