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Category : Poems

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गाढ़े  परल  समइया  हाथे दुब  जमावल जाला ।
सांसत में लरिका के जबरी दूध पियावल जाला ।

जइसे  तइसे  कटे  उमिरिया  डेरवावे परछाईं ।
कफ़न सरीखा इंतजाम सब कइले बा पुरवाई ।
घर अंगना संदूक भयल , बंदूक देखावल जाला ।
सांसत में लरिका के जबरी दूध पियावल जाला ।

मांसन के व्यापार बढ़ल रोजगार के बहुतै ठाला ।
टेक्नोलॉजी  बेबस  बा  रेडिएशन खूब मंडराला ।
सरकारी अनुदान के मुँहवा फार के घोंटल जाला ।
सांसत में  लरिका के  जबरी दूध पियावल जाला ।

आफ़त में  कांपत बा  धरती  ना केहुवो  पतियाला ।
जंगल काट के मंगल पर अब जीवन खोजल जाला ।
परमाणु  हथियारन के खूब शान बघारल जाला ।
सांसत में लरिका के जबरी दूध पियावल जाला ।

गाढ़े  परल  समइया  हाथे दुब  जमावल जाला ।
सांसत में लरिका के जबरी दूध पियावल जाला ।

✍️ धीरेन्द्र पांचाल

Comments

  • 👍👍

    May 08, 2021

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