बीते पल
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Category : Poems
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कभी हम थे बच्चों की टोली कभीएहसास न था मुझ पर इतनी बड़ी जिमेदारी , सुबह खेलते दिन गुजर जाता, शाम को सोते रात गुजर जाती।खेल खेल में भूख चली जाती,हमे पता नही होता हमनें कौन सी खेल खेली। मुझे कभी पता न था गुजरेगी पहाड़ों की टोली।।बीत गए ओ पल जब मा कहा करती आओ बीटा खा लो एक पहर । दिन गुजरा रातें गुजर गईहमें कुछ नही पता होता कब क्या करना? अब समझ मे आया तो ओ पल ही बीत गया।।हम थे जब बच्चों की टोली ,स्कूल जाते जाते राह जाते सड़कों पर जब तक स्कूल पहुँचते तब तक हो जाती स्कूल में छूटी।।न हमे ज्ञान था, न समझ, था फिर भी हम किसी खिलाड़ियों और विद्वानों से न था कम ।