सफर जिंदगी का Read Count : 107

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मैं मुसाफिर ही सही,
मुझे मुसाफिर ही रहने दो,
माना मेरी कोई पहचान नहीं मुझे अनजान ही रहने दो.....
जिंदगी अपनी शुरू हुई है तो खत्म भी होगी,
मेरी अपनी भी कुछ वजूद है,
भाई मेरे मुझे बरकरार रहने दो .....

✍🏻:- vivek meeta ganguly

Comments

  • ......

    Apr 14, 2021

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