वो पापा हैं Read Count : 75

Category : Poems

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मस्तक जिसका हिमगिरि जैसा ,
आँखे झील हजार ।
अधरों पर समरसता विहँसे ,
शब्द-शब्द झंकार ।
मैं जीतूं वह बने सिकन्दर , वो पापा हैं ।
मेरे चुल्लू में जो भरे समंदर, वो पापा हैं ।

फटी एड़ियों में अपने ,
हर राज छुपाते हैं ।
हम विचलित ना हो जाएं ,
हंसकर बतियाते हैं ।
रखते मुझको दिल के अंदर , वो पापा हैं ।
मेरे चुल्लू में जो भरे समंदर, वो पापा हैं ।

आशाओं से आकर मेरे ,
हाथ मिलाते हैं ।
इच्छाओं को झट से मेरे ,
गले लगाते हैं ।
मेरे बटुए में जो भरे मुक़द्दर , वो पापा हैं ।
मेरे चुल्लू में जो भरे समंदर , वो पापा हैं ।

✍️ धीरेन्द्र पांचाल



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