Vidhyanagar Day ❤️❤️ Read Count : 110

Category : Stories

Sub Category : Adventure

अब तो वो दिन भी याद आते है,

जब रोज़ सुबह अपने टाईम पर उठना,

ठंड में गरम पानी के लिए रोना,

फिर तो नहाये बिना मुंह धो-कर कॉलेज जाना,

वो सुबह में योगेश्वर , पटेल , ओम , शक्ति पे दोस्तों के साथ बैठना,

चाय की चुस्की के साथ गप्पे लड़lना,

साथ में तीखी सेव और पौहे का आनंद उठाना,

मेस के खाने में रोज़ चिल्लाना,

और रात में मैगी बनाकर खाना ||


अब तो वो दिन भी याद आते है,

जब कॉलेज में जाना तो एक बहाना था,

असल में तो दोस्तों  को मिलना होता था,

वो हम तो रहे backbenchers,

परंतु वहीं एक फैमिली सा सुकून पाना,


अब तो वो दिन भी याद आते है,

जब कॉलेज पूरी होते ही होस्टल जाना, 

और बेड पर आराम से लेट जाना,

फिर दोस्त के रूम में सब इक्कठा होना,

और  किसी एक दोस्त की खिचाई करना||


अब तो वो दिन भी याद आते है,
घर की नींद में भी सुकून है,

पर विद्यानगर की जागती हुई रातों का भी एक अलग ही मज़ा है,

एक्जाम नज़दीक आते ही रात रात भर जागना,

और १२ बजे चाय पीने दोस्तों को मिलना,

यही तो होती थी हमारी मुलक़ाते,

वहीं पे हो जाती थी पूरी दुनिया की बातें ||


Comments

  • good

    Mar 03, 2021

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