छात्र जीवन
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Category : Poems
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बरगद पीपर महुआ आम क छांव याद आवेला
माई के अँचरा में गाँव गिरांव याद आवेला
सोरहे बरिस में घर छूट गईल , रह गइलीं सुकुवारे
लोटा थरिया कुकर आपन इहे हव परिवारे
चाउर के गठरी से भयल अलगाव याद आवेला
माई के अँचरा में ............
राती के कोतवाल चनरमा आंख फार के ताके
नींद लगे जस भोरवे सूरज खिड़की चढ़के झाँके
चिरई चहके जस छागल के पाँव याद आवेला
माई के अँचरा में .............
बिना जतन हम दाल भात अउर चोखा ताव से खाईं
इश्क भयल जब चाय से हमके रत रत भर जग जाईं
माई के रोटी प लगावल छाव याद आवेला
माई के अँचरा में .............
आधी रोटी में मेहमानन के पता बतावे कउआ
इहवाँ चारा खाके मनई हो जालें लखनऊआ
दुअरे निबकौड़ी के भयल बिखराव याद आवेला
माई के अँचरा में .............
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