"इवेंट हॉराइज़न" Read Count : 356

Category : Books-Fiction

Sub Category : Science Fiction

ब्लैक होल स्पेस में वो जगह है जहाँ भौतिक विज्ञान का कोई नियम काम नहीं करता। इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बहुत शक्तिशाली होता है। 

इसके खिंचाव से कुछ भी नहीं बच सकता। प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है, यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है।


ब्रह्माण्ड के ऐसे ही जटिल रहस्यों के बारे में जानने के लिए एक स्पेस प्रोग्राम के तहत 15 अगस्त 2083 को भारत से दो रॉकेट स्पेस में छोड़े गये , इस स्पेस प्रोग्राम को "इवेंट हॉराइज़न" का नाम दिया गया। ब्लैक होल के बाहरी हिस्से को इवेंट हॉराइज़न कहते हैं। क्वांटम प्रभाव के चलते इससे गर्म कण टूट-टूट कर ब्रह्माण्ड में फैलने लगते हैं। आइंस्टाइन बता चुके हैं कि किसी भी चीज़ का गुरुत्वाकर्षण स्पेस को उसके आसपास लपेट देता है और उसे कर्व जैसा आकार दे देता है। हो सकता है कि आप किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश में निकले हों या फिर अंतरिक्ष यान से बाहर निकले हों और तभी ब्लैक होल की चपेट में आए जाएं। अगर आप ब्लैकहोल की चपेट में आ गए हों, तो आपके साथ दो बातें होती हैं। या तो आप तुरंत ही जलकर राख हो जाएंगे या फिर आप बिना कोई नुकसान झेले ब्लैक होल में हमेशा के लिए फंस जाएंगे।


ऐसी ही कुछ परिस्थितियों का सामना किया था "इवेंट हॉराइज़न" की एस्ट्रोनॉट्स टीम ने, एक ऐसी यात्रा जिस पर शायद ही कोई जाना चाहेगा, जहाँ कई प्रकाश वर्ष दूर तक का सफर तुरंत तय करने का तरीका भारत के युवा जीनियस वैज्ञानिक हिमांशु चट्टोपाध्याय ने ढूँढ निकाला था। जिसके तहत भारत के ही स्पेस कक्ष के आसपास एक बड़े पोर्टल द्वार का निर्माण किया गया, ये पृथ्वी के साथ घूमने के काबिल था अर्थात भारत के स्पेस स्टेशन से इसे एक्टिवेट किया जा सकता था और करोड़ों प्रकाश वर्ष की दूरी को कुछ ही घंटों में तय किया जा सकता था प्रकाश की गति से तेज चलने वाले यान के ज़रिए जो पोर्टल द्वार में प्रवेश करते ही प्रकाश से भी तेज रफ्तार पकड़ कर स्पेस के किसी भी छोर में जाने के काबिल था । इस "इवेंट हॉराइज़न" के स्पेस रिसर्च प्रोग्राम पर भारत सरकार ने पैसा पानी की तरह बहाया था, इस प्रोजेक्ट में कई मित्र विदेशी मुल्कों ने भी में पैसा लगाया था। इस प्रोजेक्ट को "इवेंट हॉराइज़न" का नाम इसलिए भी दिया गया क्यूँकि ब्रह्माण्ड में सबसे बड़े खतरे के रूप में ब्लैक होल को देखा गया है, इसे सबसे नज़दीकी ब्लैक होल की जानकारियां इकट्ठा करना था जिससे इससे निपटा जा सके , ये किसी भी स्पेस यात्री के लिए एक बुरे सपने की तरह होता है जिससे कभी कभी बाहर निकल पाना लगभग नामुमकिन होता जाता है अगर आप बिना जले भटक गए तो। 

इस प्रोजेक्ट के लिए भारतीय वायुसेना के विशेष पायलटों को शामिल किया गया एस्ट्रोनॉट्स के रूप में जिन्हें एस्ट्रोनॉटिकल विज्ञान के क्षेत्र में महारथ हासिल थी अंतरिक्ष औपनिवेशिकरण और अंतरिक्ष रक्षा में तथा साथ ही कुछ वैज्ञानिकों के दल को भी भेजा गया जिसमें कुछ मित्र विदेशी मूल्क भी शामिल थे। ब्रह्माण्ड की यात्रा पर भेजे जाने से पहले इस विशेष दल को ट्रेनिंग भी दी गई, जिसमें हर वह चीज़ सिखाई गई जो इन्हें स्पेस की समस्याओं से जूझने तथा हर मुमकिन परिस्थितियों का सामना कर ज़िंदा रहने की कला शामिल थी।


" सब कुछ कंट्रोल में है दोस्तों, अब सीधा पोर्टल द्वार के अंदर प्रवेश करना है... वहाँ सब कैसा है", युवा अंतरिक्ष यान विशेषज्ञ ग्रुप कैप्टन आर्यन सिन्हा ने अपने यान पर सभी साथियों तथा साथ यात्रा कर रहे दूसरे यान को सम्बोधित करते हुए कहा।

" यस, कैप्टन यहाँ भी सब कुछ कंट्रोल में है, अब बस तय किए समय से यात्रा करते हुए सही दिशा की ओर बढ़ते रहना है, एक बार पोर्टल द्वार में प्रवेश कर गए तो बस कुछ ही झटके खाने पड़ेंगे और हम प्रकाश की गति से भी तेज रफ्तार पकड़ लेंगे", साथ यात्रा कर रहे दूसरे यान से ग्रुप कैप्टन विक्टर एंटनोवॉविच ने आर्यन की बात का जवाब देते हुए कहा। 

" दिशा और रफ्तार एक बराबर कर के यान को ऑटो पायलट मोड में कर दिया जाए, पोर्टल द्वार तक पहुंचने में अब भी करीब चार दिन लगेंगे," विक्टर के साथ ही बैठी भारत की युवा अंतरिक्ष यान विशेषज्ञ कैप्टन रिचा शर्मा ने कहा। 

यान को ऑटो पायलट मोड में डालते ही अपनी सीट बैल्ट को खोलकर सभी यान के पिछले हिस्से में पहुँच गए जहाँ उनके और भी साथी एक बड़े से कैबिन में बैठ कर हँसी मज़ाक कर रहे थे, चारों ओर ख़ुशी का माहौल था, कुछ बैठ कर पत्ते खेल रहे थे, तो कुछ चेस। सब इस बात से बेखबर थे कि उनकी इस यात्रा में किसी परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है, हालांकि वे इसके लिए हर तरह से तैयार बैठे थे। 

" पोर्टल द्वार में प्रवेश करते ही हम एक ऐसी यात्रा तय करेंगे दोस्तों जो मानव इतिहास में किसी ने भी अब तक नहीं की थी", अपनी खुशी का इज़हार करते हुए आर्यन सिन्हा के यान से एक रूसी गैलेक्सी वैज्ञानिक मिखैल सेर्गीविच ने कहा और अपने देश की प्रसिद्ध वोदका सबके साथ बाँट कर पीने लगा।

" भाई... मैं तो बहुत थक गयी हूँ खाना खाते ही सोने चली जाऊँगी ", भारतीय युवा खगौल भौतिकी वैज्ञानिक अनीता जॉर्ज ने अपने साथ बैठी इंग्लैंड की तारकीय विज्ञान विशेषज्ञ कैथरीन ब्राउन से कहा। 

" सही कहा अगर शिफ्ट न बदली जाए तो बहुत थकान का काम है, वैसे हमारे शेफ के आज का मैन्यू क्या है... ये सोचने वाली बात है ", तुम्हें क्या लगता ", कैथरीन ने अनीता की बात का जवाब दिया और खाने के मैन्यू का ज़िक्र होने लगा। 


टीम के दूसरे यान जिस पर विक्टर एंटनोवॉविच ग्रुप कैप्टन थे उस पर भी ऐसा ही कुछ माहौल बना हुआ था। सब कुछ कंट्रोल में लग रहा था, सभी एस्ट्रोनॉट्स इस सफ़र का लुत्फ़ उठा रहे थे। अंतरिक्ष बिलकुल अलग सा एहसास देता है जहाँ आपको ऐसा लगता है कि आपके सिवाय और कोई भी नहीं है आपका दुख सुख बाँटने के लिए ऐसे में आपके टीम मेम्बर्स ही आपके सब कुछ होते हैं। एक परिवार से भी गहरा रिश्ता बन जाता है क्यूँकि आपको पता होता है कि आपका साथी आपको किसी भी हाल में बचाने के लिए जान लड़ा देगा क्यूँकि यही तो ट्रेनिंग में सिखाया जाता है। इवेंट हॉराइज़न की एस्ट्रोनॉट्स टीम में शामिल सभी मेम्बर्स को एक दूसरे पर ऐसा ही विश्वास था। 

अब भी चार दिन शेष थे पोर्टल द्वार में प्रवेश करने के लिए, उसके बाद यान प्रकाश से भी तेज़ गति पकड़ने वाला था और चुटकियों में लाखों प्रकाश वर्ष दूर पहुंचने वाला था, उसके बाद क्या होगा... क्या यान का रेडियो काम करता है या नहीं... या फिर किसी और अनहोनी का सामना करना पड़ेगा , इन सब बातों का डर तो इवेंट हॉराइज़न के हर टीम मेम्बर्स के मन में था फ़िर चाहे पृथ्वी पर हो या अंतरिक्ष में पर साथ ही एक उम्मीद भी थी कि सब कुछ ठीक होगा। हर कोई हमारे इन बारह जांबाज़ एस्ट्रोनॉट्स के लिए प्रार्थना कर रहा था जो कि एक बिलकुल अनोखे अंतरिक्ष के सफ़र पर निकले थे बिना अपनी जान की परवाह किए मानवता की भलाई करने के लिए। 

                     To be continued... 

                 ©ivanmaximusedwin


मालफंकशन... 


जहाँ पृथ्वी पर ज़्यादातर लोग उन बारह जांबाज़ एस्ट्रोनॉट्स की सलामती के लिए दुआएं माँग रहे थे, वहीं कुछ लोग इस स्पेस रिसर्च प्रोग्राम से खुश नहीं थे और उसे असफल बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे। कई विदेशी मूल्कों ने इसे बर्बाद करने का भरपूर प्रयास कर रखा था। 

" ये मिशन किसी भी हाल में सक्सेसफुल नहीं होना चाहिए, तुम नहीं जानते हो इस इवेंट हॉराइज़न के स्पेस रिसर्च प्रोग्राम को रोकने के लिए कितना पैसा खर्च किया गया है", भारतीय स्पेस सेंटर में काम करने वाला वैज्ञानिक सुरेश कुमार अपने साथी से कहता है। 

" लेकिन ये कैसे मुमकिन है...स्पेस रिसर्च प्रोग्राम को तो हिमांशु च... च... च...चट्टोपाध्याय ख़ुद ही हैंडल कर रहे हैं उनके रहते क... क...कैसे संभव है," वैज्ञानिक सुरेश से उसका साथी डॉक्टर सोलंकी हकलाते हुए पूछता है। 

" देखो उस टीम में मेरी एक ख़ास दोस्त है, जो कंप्यूटर पर पोर्टल को कंट्रोल कर रही है, हिमांशु को इसके बारे में कुछ नहीं पता है, उस पोर्टल के ठीक उसी दिन प्रोग्राम में वायरस डाल दिया जाएगा जिससे वह मालफंकशन दिखाएगा और जैसे ही स्पेस में यान पोर्टल के अंदर प्रवेश करेगा वह ध्वस्त हो जाएगा, ये प्रोग्राम जो खरबों रुपयों से ज़्यादा खर्च कर के आगे बढ़ाया जा रहा है, इस पर पानी फिर जाएगा ", सुरेश अपनी आगे की योजना सोलंकी को विस्तार पूर्वक समझाता है। सुरेश ने कुछ विदेशी मुल्कों से पैसे ले रखे थे इस काम को अंजाम देने के लिए। 

" ये यान प... प... पोर्टल में जाने के बाद कैसे ध्वस्त हो जाएगा, प...प...पोर्टल तो खाली द्वार की तरह दिखता है, इसके तो आर पार देखा जा सकता है", सोलंकी ने आशंका जताते हुए सुरेश से पूछा। 

" देखो यान पोर्टल के अंदर प्रवेश करते ही एक प्रकाश की चुंबकीय सुरंग से होकर गुज़रता है, जिससे यान प्रकाश से भी तेज़ गति पकड़ कर ब्रह्माण्ड में तय की गई दिशा तक बस कुछ ही सेकंड, मिनटों या घंटो में पहुंच सकता है दूरी के हिसाब से, तुम्हें तुम्हारी आँखों के सामने से यान पल भर में ग़ायब होता हुआ दिखेगा, जैसे ही वह पोर्टल में प्रवेश करता है, ये बिलकुल जादू जैसा ही प्रतीत होता है, लेकिन अगर हम इसमें वायरस भेज मालफंकशन कर देते हैं तो उसी पोर्टल के अंदर प्रवेश करते ही यान ध्वस्त हो जाता है, ग़लत किरणों के प्रहार से वह जलकर राख़ हो जाता है ", सुरेश ने सोलंकी की शंका दूर करते हुए बड़े विस्तार पूर्वक उसे सब कुछ समझाया। 

" अच्छा अ... अ... अब सब कुछ समझ में आ गया ", हकले सोलंकी ने सुरेश की बात को समझते हुए कहा। 

" अब सुनो उस दिन तुम्हें भी बहुत बड़ा काम करना है, उसी कझ में जहाँ इस प्रोग्राम को हैंडल किया जा रहा है, एक सह कंप्यूटर चालक की ज़रूरत पड़ेगी, क्यूँकि उस पोर्टल को दो कंप्यूटर ऑपरेट करेंगे... एक तो हमारा ही साथ देगी, दूसरे को ठीक एक दिन पहले ही किडनैप कर लिया जाएगा प्रोग्राम को सुचारू रूप से चालू रखने के लिए तुम्हारा नाम सुझाव के लिए दे दिया जाएगा... मैं तुम्हें कंप्यूटर हैकिंग का तरीका बता दूंगा, बस तुम्हें उसी हिसाब से चलना है, इसके लिए एक अरब डॉलर तुम्हारे अकाउंट में जमा करवा दिया जाएगा, कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए, नहीं तो जान से जाओगे ", सुरेश ने सोलंकी को आगे की योजना समझाते हुए कहा। 

" ठ... ठ... ठीक है, पैसे जमा करवा दो, काम हो जाएगा ", सोलंकी ने सुरेश को विश्वास दिलाते हुए कहा। 


इवेंट हॉराइज़न के इस स्पेस रिसर्च प्रोग्राम का क्या होगा ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल हर कोई स्पेस पर गए उन बारह जांबाज़ एस्ट्रोनॉट्स पर नज़र जमाए हुए था। स्पेस रिसर्च टीम हर उस अनहोनी को टालने के लिए तैयार बैठी हुई थी जो इनके रास्ते का रोड़ा बनती क्यूँकि यही बारह मानव जाति को बचाने की आखिरी उम्मीद थे। 


" हैलो... मम्मी कैसी हो तुम... तुम्हारी याद आती है... घर जल्दी आना", सात साल की सारा अपनी माँ वैज्ञानिक अनीता जॉर्ज से विडियो चैट करती है, भारतीय स्पेस सेंटर से, आज सभी एस्ट्रोनॉट्स के परिवार के सदस्यों को इकट्ठा किया गया है ताकि आखरी बार अपने प्रियजनों से वार्तालाप कर सकें पोर्टल में जाने से पहले। 

" मैं ठीक हुँ बेटा... आप कैसे हो... रोज़ स्कूल जाते हो न... पापा को ज़्यादा परेशान मत करना... मैं जल्दी ही घर लौट आऊंगी", अनीता जॉर्ज ने भावुक होते हुए अपनी बेटी सारा से कहा। 

" ठीक है मम्मी मैं पापा का ध्यान रखूंगी... तुम परेशान मत होना... स्कूल का होम वर्क भी ख़ुद ही कर लूँगी... दादी का भी ख्याल रखूंगी... तुम अपना ध्यान रखना ", सारा ने अपनी माँ को दिलासा देते हुए कहा, उसकी बातों को सुनकर अनीता और ज़्यादा भावुक हो जाती है, फ़ूट फ़ूट कर रोने लगती है, जिससे यान पर मौजूद सभी लोग उसे दिलासा देते हैं और गले लगा लेते हैं, फिर बाद में सारा से उसकी मम्मी का ख्याल रखने का वादा करते हैं और विडियो चैट पर सारा आई लव यू बोलकर दूसरे को बात करने का मौका देती है। 

" अच्छा लगा तुमसे बात कर के विक्टर... काफ़ी वक़्त गुज़र गया तुम्हें स्पेस में गए हुए और हमारी सगाई हुए, तुम्हारे इस यात्रा के कारण हमारी शादी रुकी हुई है", रूसी अंतरिक्ष यान विशेषज्ञ विक्टर एंटोनोवॉविच की मंगेतर ने उससे कहा। 

" मैं जानता हूं तुमने मेरे लिए काफ़ी परेशानियां झेली हैं और अपने परिवार के ताने भी सुने हैं, पर चिंता मत करो मैं इस यात्रा से लौटते ही तुमसे शादी कर लूंगा... सबके मुँह बंद हो जाएंगे ", विक्टर ने मुस्कुराते हुए अपनी मंगेतर की बातों का जवाब दिया। 

" तुम्हारी मम्मी की तबीयत काफ़ी खराब हो गई थी लेकिन अब चिंता की बात नहीं है, डॉक्टर ने उनका अच्छा इलाज किया है और अब तो वह घर में आ चुकी हैं हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद... तुम्हें बहुत याद कर रही थीं ", विक्टर की गर्ल फ्रेंड ने उसे आगे की बात बताते हुए कहा। 

" ओ... सुनकर खुशी हुई कि उनकी तबीयत में सुधार हो गया है, तुमने उनका काफ़ी अच्छा ख़्याल रखा है, उनसे कहना मैं जल्दी ही लौट आऊंगा, फिर सब साथ मिलकर रहेंगे... उन्हें और घर के बाकी लोगों को मेरा प्यार देना, लव यू स्वीट हार्ट ", विक्टर ने भावुक होते हुए अपनी गर्लफ्रेंड से कहा। हर कोई आज स्पेस सेंटर में भावुकता की लहर में बह रहा था क्यूँकि ये अवसर ही ऐसा था। इस यात्रा से कौन लौटता है ये किसी को पता नहीं था लेकिन हर कोई एक दूसरे का हौसला बढ़ा रहा था। 

                            To be continued... 

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मालफंकशन - 2



" हैलो... क्या मैं , सुरेश कुमार से बात कर सकता हूँ", एक अनजान शख्स ने सुरेश के घर पर फ़ोन किया।

" जी अभी बुलाती हूँ," उसकी पत्नी ने उस अनजान शख्स को जवाब दिया। थोड़ी देर बाद सुरेश प्रकट होता है और फ़ोन का रिसीवर उठा कर कान से लगा।

" काम कैसा चल रहा है...काम में कोई चूक नहीं होनी चाहिए...तुम्हें इसकी अच्छी खासी कीमत दे दी गई है", उस अनजान शख्स ने सुरेश को फ़ोन पर अपना रौब झाड़ते हुए कहा। इस मिशन को नाकाम करने के लिए न जाने उसने कितनों को खरीदा होगा और कितनों को मौत के घाट उतार दिया होगा, सुरेश तो महज प्यादा था उसके द्वारा रचित शतरंज की बिसात में, असली खिलाड़ी तो यही है जिसने फ़ोन पर सुरेश को सारी जानकारी देने को कहा है।

" सब कुछ कंट्रोल में है बॉस... आप बिलकुल भी चिंता न करें, मेरे आदमियों ने इस मिशन को असफल बनाने के लिए जी जान से मेहनत की है... अब बस यान के पोर्टल द्वार में प्रवेश करने की देर है... उसके बाद वह ध्वस्त हो जाएगा, इसका भी इंतजाम करवा दिया गया है...हम लोग ठीक उसी दिन कंप्यूटर हैक कर उसमें वायरस छोड़ देंगे और सारा मिशन असफल हो जाएगा ", सुरेश ने बॉस को सारी बातें फ़ोन पर विस्तार पूर्वक समझा दीं।

" सुनो वैज्ञानिक तुमने इस काम को सही रूप से अंजाम नहीं दिया तो तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का क्या होगा ये बताने की जरूरत नहीं है... अब कोई ख़ास काम या जानकारी हो तो बताओ ", इस मिशन को विफल करने के लिए अनजान अंडर वर्ल्ड सर्गना ने सुरेश से पूछा।

" बॉस...पोर्टल द्वार में प्रवेश करने से पहले बस एक वैज्ञानिक को उठाना पड़ेगा, उसके बाद ही इस प्रोजेक्ट को हैकिंग कर मालफंकशन में डाल दिया जाएगा... बस आप इतना काम करवा दें ", सुरेश ने उसे आगे की योजना पर काम करने के लिए अपनी ज़रूरतों को बताया।

" ठीक है... मैं अपने एक खास आदमी रहमान को इस काम पर लगवा दूँगा, तुम्हें उसे सारी जानकारी देनी होगी, वो दो दिन बाद तुमसे मुलाकात करेगा ", उस अंडर वर्ल्ड के सर्गना ने सुरेश से कहा और कॉल को काट दिया।


" सोचो क्या होगा अगर ब्लैक होल से सामना करना पड़ा हमारी एस्ट्रोनॉट्स टीम से ",वैज्ञानिक हिमांशु चट्टोपाध्याय ने अपनी एक जूनियर महिला वैज्ञानिक से पूछा।

" जहाँ तक मुझे जानकारी है, स्टीफन हॉकिंग के मुताबिक अगर कोई साथी अपने किसी साथी को ब्लैक होल में जाते हुए देखे तो उसे बिल्कुल ऐसा लगेगा कि वह माग्निफयिंग ग्लास से उसे देख रहा हो...वह उसे स्लो मोशन में नज़र आता है... आप उसे आवाज़ देकर नहीं बुला सकते हैं क्यूँकि वहां हवा नहीं होती है ", उस युवा महिला वैज्ञानिक अनुष्का ने हिमांशु के पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा।

" बिल्कुल सही, ऐसा ही होगा जब हमारे एस्ट्रोनॉट्स टीम के सदस्यों का सामना सबसे नज़दीकी ब्लैक होल से होगा... उनका काम केवल मानवजाति को बचाने का है... उन्हें जीवन को दुबारा शुरू करने के स्रोतों को ढूंढना है जिससे पृथ्वी को दुबारा बचाया जा सके...जब आप ब्लैक होल के केंद्र में पहुँचते हैं तो केंद्र तक वो असीम घुमावदार होता है...समय और स्पेस दोनों ही अपना अर्थ खो देते हैं और भौतिक विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता है... ब्लैक होल में पहुँचकर क्या होगा ये कोई नहीं जानता है, क्या आप दूसरे यूनिवर्स में पहुंच जाएंगे या फिर आप सब कुछ भूलकर दूसरी दुनिया में फंस जायेंगे, ये अब तक रहस्य बना हुआ है ", हिमांशु ने अपनी जूनियर महिला वैज्ञानिक अनुष्का को विस्तार पूर्वक समझाया।

" इसका मतलब यह कि वह हम तक या अपने साथियों तक कोई सिग्नल नहीं भेज पाएंगे अगर ब्लैक होल में फंस गए तो ", अनुष्का ने जिज्ञासा पूर्वक हिमांशु से प्रश्न पूछा।

" ऐसा पहले मुमकिन नहीं था पर स्वीडन की एक सॉफ्टवेयर कंपनी ने नई एप्लीकेशन का निर्माण किया है, जिसके ज़रिए ब्लैक होल जैसी जटिल जगहों पर से भी सिग्नल बखूबी भेजा जा सकता है, अब आप अपने आई फ़ोन से आसानी से सिग्नल भेज सकते हैं और उसे जनता के समक्ष लांच करने से पहले, सबने इस प्रोजेक्ट में इस्तेमाल करवाने का निर्णय लिया है... ये अब तक के स्मार्टफोन के आविष्कारों में सबसे बेहतर माना जाएगा अगर हमारे एस्ट्रोनॉट्स इससे सिग्नल भेजने में सफल होते हैं तो... क्यूँकि आपके शब्द तो बहुत देरी से पहुँच रहे होंगे जिसका कारण यह है कि ब्लैक होल की फ्रिक्वेंसी लगातार कम होती जाएगी ", हिमांशु ने अनुष्का के पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा।

" ये तो काफ़ी ख़ुशी की बात है, इससे तो उन्हे काफ़ी मदद मिलेगी ", अनुष्का ने हिमांशु की बात से सहमत होते हुए कहा।


हमारे एस्ट्रोनॉट्स टीम मेंबर्स में भी इसी सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को लेकर चर्चा हो रही थी, इसे लेकर सभी में एक उत्साह की लहर  उठ रही थी , कुछ इस पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर रहे थे, पर कुछ को इस बात का विश्वास था कि यह कारगर सिद्ध होगा। जहाँ ग्रुप कैप्टन विक्टर एंटनोवॉविच इससे सहमत नहीं थे कि ये काम करेगा वहीं दूसरे यान के ग्रुप कैप्टन आर्यन सिन्हा को इस पर विश्वास था क्यूँकि ये अब तक का सबसे बड़ा आविष्कार था आई फोन एप्लीकेशन के इतिहास में। इसकी सिग्नल भेजने की झमता वाकई में कबीले तारीफ होगी अगर ब्लैक होल से सिग्नल बाहर भेजा जा सके। इस एप्लीकेशन पर उन जांबाज़ एस्ट्रोनॉट्स की ज़िंदगी टिकी हुई थी जो ब्लैक होल के अंदर जानकारियां इकट्ठा करने जाने वाले थे। सभी को इस पल का बेसब्री से इंतजार था। आगे इस इवेंट हॉराइज़न स्पेस रिसर्च प्रोग्राम का क्या होगा ये तो वक़्त ही बताएगा पर सभी इस मिशन के कामयाब होने की उम्मीद लगाए बैठे थे। भले ही आप बहुत ही मुश्किल में हों, आपका सब कुछ लुट चूका हो, आप बर्बाद हो चुके हों, आपके पास और कोई भी रास्ता ना हो, पर अगर आपके मन में आशा / उम्मीद हो तो आप बड़े से बड़ी मुश्किल भी दूर कर सकते हैं। आशा या उम्मीद को और भी बेहतर तरीके से समझने के लिए बहुत सारे ज्ञानी लोगों ने विश्व को इसके बारे में उद्धरण के रूप में बताया।

सपने टूटते हैं तो उन्हें टूटने दो। उनमें से एक टुकड़ा चुनो और फिर से सपने बुनो। उम्मीद का दामन कभी मत छोड़ो। आखिरी साँस तक नहीं। जो उम्मीद की नाव पर सवार होकर निकलोगे तो साहिल का मिलना तय है। मुश्किलें किसके रास्तों में नहीं? परेशानियाँ किसके जीवन का हिस्सा नहीं? दुःख तो सभी के हिस्से में है, पर इनसे पार उसी को मिल सकता है जो डर कर बैठा नहीं, जिसने लगातार कोशिश की, जिसने निराशा को खुद पर हावी नहीं होने दिया। जो हार कर भी कभी नहीं हारा, सफलता उसी के सर चढ़ कर बोलती है। 


कहते हैं उम्मीद पर ही दुनिया क़ायम है। ये उम्मीद का ही करिश्मा है कि कल जो काम असंभव से लगते थे आज साकार हुए हैं। ऐसा ही कुछ भारत देश ने संभव कर दिखाया है और इवेंट हॉराइज़न का स्पेस रिसर्च प्रोग्राम इसका एक उदाहरण मात्र है जिसे भविष्य में भी याद रखा जाएगा।

                          To be continued... 

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हैप्पियेस्ट थॉट... 


"ब्लैक होल में गिरने पर आप प्रकृति के रहस्यों को खोजते हुए, बिना किसी झटके के, ब्लैक होल में गिरते चले जाएंगे, यह फ़्री फ़ॉल जैसा होगा, जिसे आइंस्टाइन ने 'हैप्पीएस्ट थॉट' कहा था, इवेंट हॉराइज़न नाम की कोई चीज़ अगर होती भी है तो ये आपकी चिंता का विषय अभी नहीं है, 

ये ज़रूर है कि अगर ब्लैक होल का आकार छोटा हुआ तो आपको दिक्कत हो सकती है, गुरुत्वाकर्षण का बल तब आपके पांव मं ज्यादा महसूस होगा, सिर के बजाए लेकिन मान लेते हैं कि ये ब्लैक होल हमारे सूर्य से भी काफी बड़ा है... एक हकीकत ये भी है कि बड़े ब्लैक होल में आप अपना पूरा जीवन सामान्य तौर पर बिता सकते हैं, वैसे कितना सामान्य हो सकता है, ये सोचने की बात है...क्योंकि इसमें स्पेस और टाइम का कोई मतलब नहीं होगा, आपकी कोई इच्छा काम नहीं करेगी, आप दूसरी ओर पलट भी नहीं सकते हैं, जब आप इसके बारे में सोचते हैं तो पाते हैं कि ये समय से जुड़ा अनुभव है, समय केवल आगे बढ़ता है, पीछे की ओर नहीं बढ़ता है,यह हमारी इच्छाओं के खिलाफ भी बढ़ता है और हमें पीछे टर्न लेने से रोकता है," युवा वैज्ञानिक हिमांशु चट्टोपाध्याय भारतीय स्पेस सेंटर से एस्ट्रोनॉट्स टीम के मेंबर्स से विडियो चैट करते हैं। सारे वैज्ञानिक मिलकर ब्लैक होल से संबंधित जानकारियां एक दूसरे से बांट रहे थे, ताकि मुश्किल से मुश्किल हालातों का भी सामना किया जा सके लेकिन किसी को पूरी तरह से नहीं पता था कि अन्दर जाकर क्या होने वाला है। 

" वैसे अगर  'हैप्पियेस्ट थॉट ' की बात की जाए तो ये बिलकुल अंतिम विकल्प होगा, जब हम सबके पास एक बिल्कुल नयी टेक्नोलॉजी को टेस्ट करने का मौका है... हो सकता है कि ये काम कर जाए", रूसी वैज्ञानिक मिखेल सेर्गीविच ने अपने टीम मेंबर्स तथा हिमांशु चट्टोपाध्याय से कहा। 

" मुझे लगता है मिखेल बिल्कुल सही कह रहे हैं, जब हमारे पास दो यान हैं, एक जिसे ब्लैक होल के अंदर जाना है जानकारी देने तथा दूसरे यान पर सैटेलाईट से सिग्नल रिसीव करना है जो आईपैड तथा आई फोन द्वारा भेजा जाएगा तो, इतनी गहराई तक जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी... ऐसा होना या न होना इस बात पर निर्भर करता है कि वहाँ ब्लैक होल में क्या है ", हिमांशु चट्टोपाध्याय ने अपनी एस्ट्रोनॉट्स टीम से विडियो कॉल के दौरान कहा।  

" चिंता बस पोर्टल के यात्रा की है... जब हम पोर्टल के द्वार के अंदर प्रवेश करेंगे ये एक ऐतिहासिक पल होगा, ब्रह्माण्ड की हर एक किरणें प्रकाश की चुम्बकीय सुरंग सी बना देतीं हैं जिससे हम प्रकाश से भी तेज रफ़्तार पकड़ सकेंगे, पोर्टल पूरी तरह से कंप्यूटर से नियंत्रित होगा... इसकी क्या संभावनाएं हैं कि ये पोर्टल बिल्कुल सही काम करेगा ", स्वीडन की युवा सैटेलाईट विशेषज्ञ रज़िया खाँ ने कहा, ब्लैक होल से सिग्नल सही तरह से भेजे और दिए जाएँ ये विशेष काम उसके जिम्मे था, आखिर स्वीडन ने ही इस विशेष एप्लीकेशन का निर्माण किया था और जनता के बीच लांच करने से पहले वह कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते थे। 

" आप बिल्कुल सही हैं... विशेष चिंता इस समय पोर्टल की होनी चाहिए, पर मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इस पोर्टल के अंदर दुनिया का सबसे बेहतरीन एंटीवायरस प्रोग्राम डाला गया है जिससे इसमें हर वायरस को ख़ुद के सिस्टम को करप्ट करने से पहले ही खत्म करने की झमता है...इसे करप्ट करने के लिए सबसे एडवांस वायरस प्रोग्राम की ज़रूरत पड़ेगी, जिसके लिए किसी भी हैकर को बहुत ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, ये लगभग नामुमकिन है," हिमांशु चट्टोपाध्याय ने रज़िया कि आशंका को दूर करते हुए कहा। 


" टिंग - टॉगं... टिंग टॉगं ", भारतीय स्पेस रिसर्च के  वैज्ञानिक सुरेश कुमार के घर की कॉल बेल बजती है, उनके घर पर एक अनजान मेहमान ने दस्तक दी है। सुरेश कुमार की पत्नी मुख्य दरवाजे की तरफ़ बढ़ती हैं और दरवाजे को खोलती हैं। 

" जी आप कौन हैं... और किससे मिलना है ", सुरेश कुमार की श्रीमती उस अनजान शख्स से पूछती हैं। 

" मुझे सुरेश कुमार से मिलना है... उनसे कहिए भाई जान ने भेजा है", अपना परिचय न देकर वह शख्स भेजने वाले का परिचय देता है, सुरेश कुमार की पत्नी को समझते देर नहीं लगती है कि उस शख्स के साथ उसके पति की जान पहचान काफ़ी पुरानी है। 

" आप यहीं पर रुकिए... मैं अभी उन्हें भेजती हूँ ", यह कहकर सुरेश कुमार की पत्नी अपने पति को अंदर से बुलाने चली जाती है दरवाजा बंद करके। कुछ देर बाद दरवाजे को फिर से खोलकर वहाँ वैज्ञानिक सुरेश कुमार  ख़ुद प्रकट होता है। 

" मुझे भाई जान ने उसी ख़ास काम के लिए भेजा है, आपको शायद किसी को अगुवा करवाना था... उसी ख़ास मकसद से मैं यहाँ आया हूँ", उस अनजान शख्स ने सुरेश से कहा। 

" तुम... तुम्हारा नाम रहमान है... मगर तुम यहाँ क्यूँ आ गए... किसी ने देख लिया तो हम सभी मुसीबत में पड़ सकते हैं... हम कहीं बाहर भी तो मिल सकते थे ", सुरेश कुमार ने घबराहट के कारण उसे बाहर मिलने की बात कही। 

" भाई जान ने खुद तुम्हारा पता दिया था... उन्हें तुम पर अब विश्वास नहीं है, एक तो तुमने पूरे पैसे ले लिए और अब तक काम को अंजाम नहीं दिया, इस प्रोग्राम को विफल करने के लिए काफ़ी पैसे खर्च किए गए हैं... तुम्हें याद दिलाने की ज़रूरत नहीं है", रहमान ने सुरेश को सारी बातें एक बार फिर से याद दिलाते हुए कहा। 

" मैं जानता हूँ कि इस मिशन के लिए देरी हो रही है लेकिन सही समय पर ही हर काम को अंजाम दिया जाता है... बिना योजना के बड़े से बड़े कार्य विफल हो जाते हैं, मैंने बॉस यानि तुम्हारे भाई जान को सारी बातें बता दी थीं...खैर अब से दो दिन बाद एक स्पेस वैज्ञानिक को उठाना है, जिसका इस मिशन में सबसे अहम काम है... उसी के बाद हम अपनी योजना में सफ़ल हो पाएंगे और पोर्टल के सॉफ्टवेयर में वायरस अपलोड कर पाएंगे...उस प्रोग्रामर का नाम अरविंद सुब्रमण्यम है, उसे ठीक मेरे इशारे पर घर से एक दिन पहले ही उठाना है पोर्टल का द्वार खुलने से पहले, मैं तुम्हें उसके घर का पता और डिटेल्स टेक्स्ट कर दूँगा, अपना नंबर मुझे दे दो ", सुरेश कुमार ने रहमान को सारी योजना समझाई और टेक्स्ट मेसेज भेजने के लिए उसका नंबर मांगा। रहमान ने उसे अपना नंबर दिया और वहाँ से विदा लेकर चला गया। अब तो ये समय पर ही निर्भर करता है कि क्या सुरेश अपनी योजना में सफल हो पाएगा... क्या वह इस इवेंट हॉराइज़न के प्रोग्राम को विफल कर देगा जिसपर मानवजाति की उम्मीद टिकी हुई है, आगे क्या होगा ये तो वक़्त ही बताएगा लेकिन अभी सभी की निगाहें हिन्दुस्तान के इतिहास के सबसे बड़े आविष्कार यानि उस पोर्टल द्वार पर टिकी हुई हैं। 


                       To be continued...

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मिशन एकम्पलिश्ड.. 



" स... स... सुनो तो सुरेश, क्या हुआ मिशन का, तुमने कुछ बताया नहीं", हकले सोलंकी ने सुरेश कुमार को पीछे से टोक कर रोक दिया, वह भारतीय स्पेस सेंटर की बिल्डिंग से बाहर निकल ही रहा था।

"अच्छा हुआ तुम मिल गए, मैं तुमसे ही मुलाकात करने के बारे में सोच रहा था लेकिन मैंने सोचा कि कल ही मिलना सही रहेगा ", सुरेश कुमार ने सोलंकी की बातों का जवाब दिया।

"म... म... मुझे ये जानना था कि आगे की योजना क्या है, क्या अब भी तुम्‍हारा वही प्लान है या तुमने इरादा बदल दिया क्यूँकि कल सुबह इवेंट हॉराइज़न का यान पोर्टल में प्रवेश कर जाएगा ", सोलंकि ने सुरेश से पूरे प्लान के बारे में पूछा।

" मैं जानता हूँ... इस योजना को सफल बनाने के लिए मैंने एक ख़ास आदमी को इस काम पर लगा दिया है, उसे मैंने प्रोग्रामर अरविन्द सुब्रमण्यम का पता टेक्स्ट मेसेज करके भेज दिया है... आज शाम को जैसे ही सुब्रमण्यम यहाँ से घर के लिए रवाना होगा, रास्ते में ही उसे उठा लिया जायेगा, उससे सुपर कंप्यूटर के पासवर्ड को लेकर हैकिंग की योजना को सफल बनाने का काम किया जाएगा, वायरस को भेजने का मेरे पास एक आसान रास्ता है, बस तुम्हें जब सुब्रमण्यम की जगह लेने के लिए कहा जाएगा तो ब्लुटूथ अपने कान में लगा लेना... मैं तुम्हें अपने कंप्यूटर से सारी डिटेल्स भेजता रहूंगा जिससे तुम्हारे कंप्यूटर पर किसी को शक नहीं होगा क्योंकि मैं अपने कंप्यूटर को जोड़ दूँगा स्पेस रिसर्च टीम के कंप्यूटर के साथ... दुनिया का सबसे शक्तिशाली एंटिवायरस प्रोग्राम भी नहीं बचा पाएगा उस पोर्टल को, बस तुम वही करते रहना जो मैं कहूँ ", सुरेश ने सोलंकी को सारी योजना विस्तार पूर्वक समझाया।

" क्या तुम्हें लगता है कि अरविंद अपने कंप्यूटर का पासवर्ड इतनी आसानी से बता देगा ", सोलंकी ने एक बार फिर से शंका जताते हुए सुरेश कुमार से पूछा।

" आसानी से तो नहीं बताएगा लेकिन जब किसी को इतना डरा दिया जाए कि वह खौफ़ से पार न लगा पाए तो सब कुछ अपने आप ही बाहर निकल आता है... सोलंकी के साथ भी मेरे आदमी ऐसा ही करेंगे, उसे उसके बीवी बच्चों की धमकी दी जाएगी जिससे वह टूट कर ख़ुद ही पासवर्ड बता देगा", सुरेश कुमार ने सोलंकी की शंका को दूर करते हुए कहा।

" ल.. ल... लेकिन अगर उसने बाद में सबको इसकी जानकारी दे दी, त... त... तो फिर क्या होगा, हम सब भी पकड़े जाएंगे ", सोलंकी ने हकलाते हुए बाद में होने वाले अंजाम के बारे में वैज्ञानिक सुरेश कुमार से पूछा।

" इसकी चिंता तुम मत करो, उसके किडनैप होने से लेकर बाद में होने वाले अंजाम तक की योजना बना चुका हूँ... सुब्रमण्यम को स्पेस सेंटर से घर तक पहुंचने में आधे घंटे का समय लगता है, उसी बीच में उसे मेरे आदमी मौका पाते ही उठा लेंगे और उससे सारी जानकारी मिलते ही उसका काम तमाम कर के शहर में किसी भी जगह उसे फेंक देंगे, अगर वह पासवर्ड देने में आनाकानी करता है तो उसे उसके परिवार को मारने की धमकी मिलेगी, इसके लिए दो लोग आज से ही उसके घर पर नज़र रखेंगे...उन्होंने अपना काम लगभग शुरु ही कर दिया होगा, अब बस सुब्रमण्यम के स्पेस सेंटर से निकलने भर की देर है ", सुरेश कुमार ने सोलंकी को अपनी घातक योजना अच्छे से समझाई ताकि उसे लेकर सोलंकी के मन में कोई शंका न रह जाए, आखिर सोलंकी को कुछ घंटों बाद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी थी इसलिए उसके अंदर का डर सुरेश कुमार को खत्म करना था।


उधर स्पेस में इवेंट हॉराइज़न की एस्ट्रोनॉट्स टीम के बीच ब्लैक होल को लेकर बहस छिड़ गई थी, जिसमें सभी अपने अनुमान के मुताबिक ब्लैक होल के विषय में चर्चा कर रहे थे। 

" मैं आप सभी को बता दूँ कि कोई ज़रूरी नहीं है कि ब्लैक होल के अंदर प्रवेश करते ही आपको केवल खाली ग्रह या पत्थर के टुकड़े ही मिलें... ब्लैक होल के अंदर जीवन भी संभव है या ये भी हो सकता है कि हम किसी दूसरी गैलेक्सी में पहुंच जाएँ, हम इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं कि इससे पहले किसी ने भी ब्लैक होल को इतने करीब से नहीं देखा होगा या कोई भी रिसर्च टीम अब तक उसके अंदर प्रवेश कर जानकारी नहीं ला पाई है... पृथ्वी पर बैठे वैज्ञानिक केवल एक अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ब्लैक होल के अन्दर प्रवेश करना कैसा रहेगा या उसकी रचना किस तरह की होगी, लेकिन कोई ये नहीं जानता है कि ब्लैक होल के अंदर हक़ीक़त में क्या है, जहाँ तक मेरा सवाल है मैं तो यही कहूँगी कि ब्लैक होल में जीवन भी संभव है, हो सकता है कि हमारा सामना एक बिलकुल नयी प्रजाति से हो जिसके बारे में अब तक हम लोग कुछ भी नहीं जानते हैं... आपका क्या ख्याल है मिखेल ", चीन की युवा परजीव वैज्ञानिक ली जिंग ने कहा और रूसी वैज्ञानिक मिखेल सेर्गीविच से उसकी राय के बारे में पूछा। 

" मेरे ख्याल से मिस ली जिंग का कहना बिल्कुल सही है, ब्लैक होल में कुछ भी हो सकता है और कोई ये नहीं जानता है कि वहाँ अंदर जाकर क्या होगा ", रूस के युवा गैलेक्सी वैज्ञानिक मिखेल सेर्गीविच ने चीन की ली जिंग से सहमत होते हुए कहा। एस्ट्रोनॉट्स के बीच इस बात को लेकर चर्चा चलती रही कि ब्लैक होल किस तरह का होगा, वहाँ किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, सभी केवल अनुमान ही लगा सकते थे क्यूँकि ब्लैक होल की यात्रा करके अब तक कोई भी जानकारी लाने में असमर्थ था, इन्हीं अनुमानों के ज़रिए हमारे एस्ट्रोनॉट्स ब्लैक होल का सामना करने की तैयारी कर रहे थे, अब आगे क्या होगा ये तो वक़्त ही बताएगा। 


उधर अपना काम ख़त्म कर के रोज़ की तरह सुब्रमण्यम स्पेस सेंटर से अपनी कार में निकला, वह कार चला ही रहा था कि इतने में किसी ने उसके मोबाइल पर कॉल किया, उस कॉल को उसने अपने कान में लगे ब्लुटूथ डिवाइस से रिसीव किया और बातें करने लगा, कॉल उसी के साथ काम करने वाली एक युवा वैज्ञानिक ने किया था जो इस इवेंट हॉराइज़न की रिसर्च टीम से जुड़ी थी। सुब्रमण्यम उससे बातें करते हुए कार ड्राइव कर ही रहा था कि अचानक उसकी कार को एक वैन ने ओवर टेक किया और सुब्रमण्यम का रास्ता रोक दिया। सुब्रमण्यम ने कार के ब्रेक्स दबा कर उसे टक्कर मारने से रोक दिया, तभी वैन से तीन लोग बाहर निकले उनके हाथों में Beretta 92FS 9mm, 

Glock-17 और Glock-19 जैसी आधुनिक पिस्टल्स थी, उन्होंने पिस्टल्स को सुब्रमण्यम के ऊपर तान दिया था और उसको कार से बाहर निकलने का इशारा किया। उसके बाहर आते ही उनमें से एक ने उसके चेहरे पर काला कपड़ा डाल दिया और उसे ज़बर्दस्ती वैन में बैठने को कहा, दूसरी तरफ कॉल पर महिला वैज्ञानिक सब कुछ सुन रही थी। उसने सुब्रमण्यम के साथ हुए उन किडनैपर्स की सारी झड़प सुन ली। सुब्रमण्यम को वैन में बैठाते ही सब वहाँ से निकल पड़े, रहमान ने सुरेश कुमार को टेक्स्ट मेसेज भेज दिया जिसमें लिखा था "मिशन एकम्पलिश्ड", लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि उनके इस मिशन की खबर किसी और को भी थी, अब आगे क्या होगा इस बात का ज़रा सा भी अंदाज़ा उन्हें नहीं था।

                      To be continued... 

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पासवर्ड... 



" सुनो... ज़रा मेरी बात सुनो, हिमांशु चट्टोपाध्याय कहाँ पर हैं", एक युवा महिला वैज्ञानिक दौड़ते हुए स्पेस सेंटर के हॉल में प्रवेश करती है, उसके चेहरे की रंगत उड़ गयी थी जो साफ़ दर्शा रही थी कि वह घबराई हुई है, उसने अपनी एक साथी वैज्ञानिक से हिमांशु के बारे में पूछा।

" वह तो अभी अभी कैंटीन की तरफ़ गए हैं... लेकिन क्या हुआ तुम इतनी परेशान क्यूँ हो", उसकी साथी ने उससे हिमांशु का पता बताया और उससे परेशान होने की वजह के बारे में पूछा।

" कुछ खास नहीं है... बस हिमांशु चट्टोपाध्याय के लिए एक खबर है और मैं उन्हें ही बताऊँगी", उसने कहा और दुबारा कैंटीन की तरफ़ भागने लगी। कैंटीन में पहुंच कर उसने देखा कि हिमांशु वहाँ बैठकर चाय नाश्ता कर रहे हैं। वह उसके नज़दीक गई और सामने की कुर्सी पर बैठ गई। 

" अरे अनीता इतनी घबराई हुई क्यूँ हो... सब कुछ ठीक तो है ", हिमांशु ने उस युवा वैज्ञानिक अनीता से पूछा। 

"बात ही कुछ ऐसी है... आप भी सुनेंगे तो आपके होश उड़ जाएंगे", अनीता ने हिमांशु से कहा। 

"अरे लेकिन हुआ क्या है, कुछ तो बताओ...लो पहले तुम पानी पियो", हिमांशु ने अनीता से पूछा और उसे एक ग्लास पानी पीने को दिया, उसने पानी का गिलास इतनी रफ्तार के साथ खाली कर दिया मानो वह जन्म जन्‍म की प्यासी हो। 

" वो हमारी इवेंट हॉराइज़न की टीम के प्रोग्रामर अरविंद सुब्रमण्यम का किडनैप कर लिया है कि‍सी ने... मैं उनसे मोबाइल पर बात कर ही रही थी कि अचानक उन्हें उनकी कार में से कुछ लोगों ने किडनैप कर लिया, मैंने किसी को इस बात के बारे में नहीं बताया, सबसे पहले मैं आपको ही बताने आई हूँ ", घबराई हुई अनीता ने पानी पीकर राहत की साँस ली और हिमांशु को सारी बातें बताईं, हिमांशु सारा माजरा समझ गया। 

" अच्छा किया कि तुमने इसका ज़िक्र किसी और से नहीं किया वर्ना अफरा तफरी मच जाती... हो सकता है हमारे ही डिपार्टमेंट से किसी ने इस काम को अंजाम दिया हो, इसलिए ऐसे मौकों पर शांत रहना बहुत ज़रूरी है, सुब्रमण्यम को वो लोग तब तक नुकसान नहीं पहुंचाएंगे जब तक वह उन्हें अपने कंप्यूटर का पासवर्ड नहीं दे देता... हमें उनसे पहले ही सुब्रमण्यम तक पहुंचना होगा वर्ना बहुत देर हो जाएगी, तुम्हें ख़ास तौर पर इस बात का ज़िक्र किसी और से नहीं करना है... मैं सुब्रमण्यम को बचाने का प्रयास करता हूँ ", हिमांशु चट्टोपाध्याय ने अपने साथ काम करने वाली युवा वैज्ञानिक अनीता को अच्छी तरह से समझाते कहा। 

" ठीक है, जैसा आप कहें... मैं इस बात का ज़िक्र किसी से नहीं करूंगी ", अनीता ने हिमांशु को विश्वास दिलाते हुए कहा। 

" मैं एक बन्दे को जानता हूँ जो इस मामले में हमारी मदद कर सकता है... मैं उससे निजी तौर पर सहायता करने के लिए कहूँगा", हिमांशु ने अनीता से कहा और अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर नंबर मिलाया। 


" इसे यहाँ कुर्सी पर बाँध दो, चेहरे से कपड़ा तब तक नहीं हटाना जब तक मैं न कहूँ ", रहमान ने अपने साथियों से कहा, उन्होंने उसके आदेश का पालन किया और अरविंद सुब्रमण्यम को एक कुर्सी पर बैठा कर बाँध दिया। 

" मेरी बात को सुन सकते हो वैज्ञानिक, अगर हाँ तो अपनी गर्दन पर ज़ोर डालकर हाँ में जवाब देना ", रहमान ने अरविंद से पूछा, उसने अपनी गर्दन हिलाकर हाँ में जवाब दिया। 

"अब तुमसे जो पूछा जाए उसका सही सही जवाब देना", रहमान ने एक बार फिर से सुब्रमण्यम से कहा। 

"अब बताओ तुम्हारे कंप्यूटर का पासवर्ड किया है ", रहमान ने अरविंद से पूछा, उसके इस सवाल के पूछते ही रहमान सारा माजरा समझ गया, उसने चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी। 

"शायद तुमने सुना नहीं... मैंने तुमसे तुम्हारे कंप्यूटर का पासवर्ड पूछा है, अब भी अगर तुमने जवाब नहीं दिया तो याद रखो इसका बहुत बुरा अंजाम होगा", रहमान ने फिर से एक अपने अंदाज़ में सुब्रमण्यम से पासवर्ड पूछा पर अरविंद ने जैसे चुप रहने की कसम खा ली हो। 

" मेरे सब्र का बाँध टूट रहा है... मैं तुमसे एक आखरी बार पूछ रहा हूँ, मुझे अपने कंप्यूटर का पासवर्ड बताओ और मैं तुम्हें आज़ाद कर दूँगा, वर्ना गूंगो से भी बात करवाने के तरीके हैं मेरे पास ", रहमान ने एक बार फिर धमकी भरे अंदाज़ में सुब्रमण्यम से पासवर्ड पूछा पर उसने कोई जवाब नहीं दिया, ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो अरविंद सुब्रमण्यम को रहमान की बातों पर ज़रा भी भरोसा नहीं था इसलिए उसने खामोश रहना ही उचित समझा। 

" बॉस...मुझे तो लगता है कि इसे हिन्दी समझ में नहीं आ रही है और अंग्रेजी आपको नहीं आती है इसलिए इसी के इलाके का एक आदमी हमारी ही गैंग में है... आप बोलें तो उसे यहाँ बुलाकर पूछताछ कर लें", रहमान के एक आदमी ने उसे राय देते हुए कहा। 

" बेटा तू भी मज़ाक बना ले...चल बुला ले जिसको बुलाकर इससे पासवर्ड निकलवाना है, बस काम होना चाहिए ", रहमान ने अपने आदमी को घूरते हुए देखा फ़िर मौके की नज़ाकत को समझते हुए अपने उसी आदमी की बात से सहमत हो गया। रहमान की तरफ़ से हरी झंडी मिलते ही उस आदमी ने मोबाइल निकाल कर एक नंबर मिलाया और कॉल रिसीव होने का इंतजार करने लगा। 

" हैलो... हैलो... मैं मुन्ना बोल रहा हूँ," रहमान के आदमी ने कॉल रिसीव होते ही बात करना शुरू किया। 

"हैलो... हाँ मुन्ना भाई, हम कुट्टी बोलता है", उधर से मोबाइल पर बात करने वाले शख्स ने कहा। 

" सुन कुट्टी, एक बहुत ज़रूरी काम आ गया है जो तेरे अलावा और किसी से नहीं हो सकता है, इसलिए मैं कॉल काटने के बाद एक पता टेक्स्ट करके दूँगा, तू फौरन उस पते पर पहुंच जा... ये काम बहुत ज़रूरी है इसलिए हल्के में मत लेना", मुन्ना ने मोबाइल पर कुट्टी को समझाते हुए कहा। 

" आप बिलकुल चिंता न करो मुन्ना भाई... कुट्टी काम कर लेगा, आप बस कॉल काटकर पता टेक्स्ट करो जी, फिर देखो कुट्टी कैसे हवा से भी तेज रफ्तार पकड़ कर पहुंचता है", कुट्टी ने मुन्ना से कहा, उसके कहते ही मुन्ना ने कॉल काट दिया और रहमान के अड्डे का पता टेक्स्ट मेसेज करने में जुट गया। 

                         To be continued... 

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पासवर्ड - 2


"सबसे पहले इस मोबाइल नंबर को सैटेलाईट से ट्रैक करो, मुझे इस नंबर की हर डीटेल चाहिए, इससे कितने बजे आखरी बार बात किया गया और कहाँ से," एक युवा प्रोग्रामर ने अपने जूनियर्स को आदेश दिया।

"हो गया, सर... मैंने इसकी डीटेल निकाल लिया है, इस नंबर पर आखरी बार इसी स्पेस सेंटर से कॉल किया गया है कि‍सी अनीता नाम की साइंटिस्ट ने अपने मोबाइल से कॉल किया था... ये नंबर हमारे स्पेस सेंटर के इवेंट हॉराइज़न स्पेस रिसर्च टीम के कंप्यूटर प्रोग्रामर अरविंद सुब्रमण्यम का है ", एक युवा प्रोग्रामर ने अपने सीनियर से कहा।

" बहुत अच्छे...अब सभी ध्यान से सुनना जो मैं बताने जा रहा हूँ उसकी सूचना इस कमरे में बैठे लोगों के अलावा केवल हिमांशु चट्टोपाध्याय को ही है, इसलिए ये ख़बर इस कमरे से बाहर किसी के कान तक नहीं पहुँचनी चाहिए... अरविंद सुब्रमण्यम को आज किसी ने किडनैप कर लिया है, हम सबको उस किडनैपर का पता लगाना है," सीनियर ऑफिसर ने अपने जूनियर्स को समझाते हुए कहा।

" ये तो बहुत ही आसान काम है... अपनी भारत देश की सैटेलाईट इमेज या विडियो द्वारा आसानी से पता चल जाएगा, मैं सैटेलाईट से उसी समय के इमेज या विडियो को आसानी से ट्रैक कर सकती हूँ... ये लो हो गया, देखिए सर ये रही अरविंद सुब्रमण्यम की कार, अब इस विडियो को थोड़ा बैकवर्ड करती हूँ, ये लीजिए सर... अरविंद सुब्रमण्यम अब अपनी कार लेकर स्पेस सेंटर से निकलने की तैयारी में हैं, इसे मैं थोड़ा और ज़ूम कर देती हूँ, अब ये विडियो हम अपनी सैटेलाईट द्वारा आसानी से कंप्यूटर स्क्रीन पर देख सकते हैं... ये लीजिए मैंने इसे मेन स्क्रीन पर ट्रान्सफर कर दिया है ताकि इस कमरे में मौजूद सभी लोग देख सकें ", एक युवा महिला प्रोग्रामर ने अपने सीनियर ऑफिसर और उस कमरे में बैठे सभी लोगों को संबोधित करते हुए कहा।


" अब हम पोर्टल द्वार के बिल्कुल नज़दीक हैं और इस पोर्टल द्वार में प्रवेश करने से पहले आप दोनों यानों के ग्रुप कैप्टन से निवेदन है कि अपने यान को एक ही स्पीड में रखें और बिलकुल बराबर की दूरी रखते हुए यान के दरवाजे के हैचेज़ को खोल दें जिससे दोनों यान एक दूसरे से जुड़ जाएं... ये आधुनिक यान है जिसमें दोनों यान के दरवाजे के ऊपर बने हैचेज़ खुल कर एक दूसरे से जुड़ सकते हैं जिससे दोनों यान एक हो जाएंगे पोर्टल द्वार में प्रवेश करने से पहले", हिमांशु चट्टोपाध्याय ने इवेंट हॉराइज़न की एस्ट्रोनॉट्स टीम के सभी यात्रियों को दिशा निर्देश देते हुए कहा। सभी यान के कॉकपीट में इस भव्य नज़ारे को देखने के लिए जमा हो जाते हैं। ग्रुप कैप्टन विक्टर एंटनोवाविच और आर्यन सिन्हा यान को उड़ाने के लिए अपनी अपनी कुर्सीयों पर बैठ जाते हैं। अब यान पूरी तरह से दोनों के कंट्रोल में था। धीरे धीरे विक्टर एंटनोवाविच का यान आर्यन सिन्हा के यान के बिल्कुल नज़दीक आ गया और एक दूसरे से बराबर दूरी बनाए हुए था, दोनों ने अपने अपने यान के दरवाजे के ऊपर बने हैचेज़ को खोल दिया। एस्ट्रोनॉट्स टीम के बाकि सदस्य और भारतीय स्पेस सेंटर के बाकि वैज्ञानिक इस ऐतिहासिक आधुनिक यान को देखने का उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे, आज वह पल आ गया था, सबकी नज़रे इन दोनों यानों पर टिकी हुई थीं, ज़रा सी भी चूक इन सभी बारह वैज्ञानिकों और इवेंट हॉराइज़न की टीम के सपने का अंत करने के लिए काफ़ी थी। टीम को पूरा भरोसा था विक्टर एंटनोवाविच और आर्यन सिन्हा जैसे कुशल अंतरिक्ष यान विशेषज्ञों पर जिन्होंने कुशलता पूर्वक हैचेज़ को बिल्कुल सही स्थिति में जोड़ दिया, हैचेज़ आपस में जुड़ते ही एक वैक्यूम टनल बना लेते हैं जिससे ऑक्सिजन उस टनल से बाहर न निकले। अब दोनों यान एक हो चुके थे, दोनों यान के यात्री शटल के दरवाजे को खोल उस टनल की सहायता से दोनों यान में घूमने को बेकरार थे। ग्रुप कैप्टन विक्टर एंटनोवाविच और आर्यन सिन्हा के बटन दबाते ही दोनों यान के दरवाजे खुल गए, वैक्यूम टनल पहले ही सक्रीय हो चुका था इसलिए एक यान से दूसरे यान तक आने जाने में कोई दिक्कत नहीं थी।

" बहुत ही बढ़िया काम किया...अब आप लोग आराम करें कल सुबह भारत के समय अनुसार 11:00 am को हम पोर्टल में एक साथ प्रवेश करेंगे...अब आज आप सभी मिलकर एक बार फिर से ये फैसला कर लें कि ब्लैक होल में कौन सी टीम प्रवेश करेगी, ये आख़री फैसला मैं आप सब पर ही छोड़ता हूँ, कल इस ऐतिहासिक मौके पर हमारे साथ देश के प्रधानमंत्री भी मौजूद होंगे, आप सब को आखिरी बार संबोधित करने के लिए... तो तैयार रहें, अभी अराम करें ", हिमांशु चट्टोपाध्याय ने अपने इवेंट हॉराइज़न की एस्ट्रोनॉट्स टीम से कहा। उसने उन्हें ज़रा भी भनक नहीं लगने दी कि नीचे स्पेस सेंटर किन मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहा है। एक कंप्यूटर प्रोग्रामर को किडनैप कर लिया गया है। वह तो बिल्कुल ऐसे नज़र आ रहा था जैसे कि कुछ हुआ ही न हो, तभी उसका मोबाइल जेब में वाइब्रेट होता है, वह उसे अपनी जेब से निकलता है और कान पर लगाते ही कंट्रोल रूम से बाहर निकल जाता है। 

" हैलो...हिमांशु तुम्हारे कंप्यूटर प्रोग्रामर अरविंद सुब्रमण्यम का पता चल गया है, उसे जन्नत अपार्टमेंट के ठीक पीछे किडनैप कर के रखा गया है, मैंने सैटेलाईट की सहायता से सब कुछ देख लिया है, वो तीन लोग थे जिन्होंने उसे उठाया उनके पास हथियार भी मौजूद थे और एक काली वैन में उसे लेकर गए थे, मैंने उस समय का विडियो भी बना लिया है, मैं तुम्हें मोबाइल पर भेज दिया है और साथ ही में उन किडनैपर की लोकेशन भी भेज दी है, ये बात अब तक किसी और को नहीं बताई गई है... तुम संभाल लेना ", उधर से कॉल पर एक वैज्ञानिक ने हिमांशु चट्टोपाध्याय से कहा। 

" थैंक यू, डिसिल्वा... तुमने मुझ पर ये बहुत बड़ा एहसान किया है, तुम सच में जीनियस हो ", हिमांशु चट्टोपाध्याय ने इधर से उसे धन्यवाद दिया। 

" ठीक है, मस्का बाद में लगा लेना... काम हो जाए तो ट्रीट देनी पड़ेगी, याद रखना ", डिसिल्वा ने हिमांशु से कहा। 

"बिलकुल, तुम इस बात की चिंता मत करो, मैं सब संभाल लूँगा... अच्छा अभी काटता हूँ ", हिमांशु ने डिसिल्वा को अश्वासन देते हुए कहा। कॉल के कटते ही हिमांशु ने फिर से किसी को मोबाइल पर सर्च किया, उस नंबर पर डिसिल्वा द्वारा भेजे हुए विडियो और किडनैपर की लोकेशन को भेज दिया और उस नंबर पर कॉल किया। 

                          To be continued... 

                  ©IVANMAXIMUSEDWIN 


रेस्क्यू ऑपरेशन 



"अब मैं और ज़्यादा इंतज़ार नहीं कर सकता हूँ, मुझे घर जाना है... तुम लोग संभाल लेना, मैं चलता हूँ, आज रात कुछ भी हो इससे इसका पासवर्ड जानना बहुत जरूरी है, कुछ लोग हैकिंग भी कर रहे हैं ताकि स्पेस रिसर्च टीम के सिस्टम में घुसकर विशेष जानकारियां ले ली जाए और सिस्टम को वायरस से करप्ट कर दिया जाए, सुरेश कुमार के अंडर ग्राउंड लैब में इसका पूरा इंतजाम किया गया है... इसलिए तुम लोग ध्यान रखना ", रहमान ने अपने ख़ास आदमियों से कहा।

" आप चिंता न करें भाई, काम हो जाएगा... अगर नहीं माना तो टॉर्चर करके पूछा जाएगा ", उसके एक आदमी ने उसे आश्वासन देते हुए कहा।

" ठीक है, मैं चलता हूँ... इससे आज रात तक किसी तरह से पासवर्ड लेना ही पड़ेगा और ज़रा बीच बीच में वैज्ञानिक सुरेश कुमार के यहाँ भी कॉल करके पता करते रहना... हो सकता है कि वह सिस्टम हैक करने में कामयाब हो जाए, तो हमें इस मद्रासी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी", रहमान ने अपने आदमी को आदेश देते हुए कहा। 

" हम सब संभाल लेंगे भाई, आप निश्चिंत होकर घर जाएं ", रहमान के आदमी ने उससे कहा। रहमान उन्हें निर्देश देते ही वहाँ से अपने घर के लिए रवाना हो जाता है। उसके आदमी फ़िर से सुब्रमण्यम से पूछताछ करने में जुट जाते हैं। काफ़ी देर तक कोई जवाब न मिलने के कारण वे सभी काफ़ी निराश और परेशान हो जाते हैं। 

" लगता है कि तुम इतना आसानी से नहीं मानेगा, जी... इसलिए अन्ना ने तुम्हारा वास्ते स्पेशल इंतजाम किया है, ये देखो जी", कुट्टी ने अरविंद सुब्रमण्यम से कहा और उसके चेहरे से काला कपड़ा हटाकर उसे इंसानों के शरीर को काटने के औज़ार दिखाए, जिसे देख एक बार के लिए ख़ुद सुब्रमण्यम की आत्मा तक कांप गई। 

" अब हम तुमसे एक बार और पूछेगा जी... अगर तुम सही जवाब नहीं दिया तो हम इससे तुम्हारा उंगली का छोटा छोटा टुकड़ा करेगा, तो बताओ तुम्हारे कंप्यूटर का पासवर्ड क्या है जी", कुट्टी ने अरविंद से एक बार फिर से पूछा, पर उसे कोई जवाब नहीं मिला, इस बात से कुट्टी क्रोधित हो उठा और उन औजारों में से एक सिगार कट्टर उठा लिया, फिर उसने अरविंद के बाएँ हाथ की छोटी उंगली उस कट्टर में फँसा दी। 

" खाचक... आआआ... आ ", कट्टर की आवाज़ होते ही अरविंद की उंगली का ऊपरी भाग कट जाता है, अरविंद दर्द से कहरा रहा था, ये एक असहनीय पीड़ा थी जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। 

"देखा कितना दर्द होता है जी... अब भी अगर तुम हमको पासवर्ड नहीं बताएगा तो हम फिर से उसी उंगली पर ये कट्टर चलाएगा, तुम बात कहे को नहीं मानता है जी, क्या अपना कंप्यूटर तुम बिना उंगलियों का चलाना माँगता है, अगर ऐसा नहीं है तो अच्छा बच्चे की तरह जल्दी से वह पासवर्ड हमको बता दो ", कुट्टी ने बेरहमी दिखाते हुए एक बार फिर से अरविंद से पासवर्ड पूछा, पर इस बार भी उसे निराशा ही हाथ लगी क्यूँकि अरविंद उसे न बताने का मन बना कर बैठा हुआ था। ऐसे में कुट्टी ने कहे अनुसार फिर से अरविंद की वही घायल उंगली को कट्टर के बीच रखा और उसके दबते ही अरविंद की ज़ोरदार चीख़ निकली। चीख़ इतनी दर्दनाक थी कि अच्छे अच्छों का कलेजा दहल जाए। 

अरविंद जिस परिस्थिति का सामना कर रहा था उन परिस्थितियों में बस एक ही ख़याल आता है कि कहीं न कहीं से कोई चमत्कार हो जाए और पीड़ित की जान बच जाए, ऐसे ही कुछ ख़्याल अरविंद के मन में भी उमड़ रहे थे कि तभी अचानक एक ज़ोर की आवाज़ "धाँय" के साथ खिड़की का शीशा तोड़ती हुई एक गोली अरविंद के बायीं ओर खड़े एक किडनैपर को लगती है, गोली सिर में लगने के कारण वह वहीं ढेर हो जाता है। वहाँ मौजूद सभी लोगों में अफरा तफरी मच जाती है, किसी के समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है, तभी अचानक फ़िर से दो गोलियां चलतीं हैं "धाँय... धाँय", उन किडनैपर के दो और आदमी मौत के घाट उतर जाते हैं। 

"खिड़कियों से पीछे हट जाओ और किसी आड़ के पीछे छुप जाओ", अपने तीन साथियों को मौत के घाट उतारता देख, उन किडनैपर में से एक अपने बाकी बचे साथियों से कहता है। सब उसकी बात मान कर अपनी- अपनी पोजिशन ले लेते हैं। सभी को इस बात का अन्दाज़ा हो गया था कि सामने की बिल्डिंग से कोई स्निपर उन्हे टार्गेट किए हुए है जो शायद उनके निशाने से काफ़ी दूर है। उनका अंदाज़ा काफ़ी हद तक सही था, वह स्निपर इतना माहिर था कि छुपने के बाद भी उसने कुट्टी को रूम में लगे शीशे में देख लिया और बिल्कुल सही जगह पर निशाना साधा, "धाँय... आआया", एक गोली सीधा कुट्टी का सीना चीरते हुए दीवार पर लगे वॉल क्लॉक में लगती है, कुट्टी की दर्दनाक चीख़ निकल आती है। इससे पहले कि वहाँ कोई कुछ समझ पाता कि क्या हो रहा है, "धाँय... आआईई", एक और गोली उन किडनैपर में से एक आदमी को लगती है, गोली लगते ही उसकी दर्दनाक चीख़ निकल पड़ती है। 

अब उस कमरे में मात्र दो किडनैपर ही ज़िंदा बचे थे, जो ज़मीन पर उल्टे होकर लेटे हुए थे, अरविंद को सभी ने उसी स्थिति में बंधा हुआ छोड़ दिया था पर इतनी फ़ायरिंग के बीच में उसका बाल तक बांका नहीं हुआ, वह वहीं बैठकर ये सारा तमाशा देख रहा था। विधाता ने उसकी सुन ली थी और चमत्कार हो चुका था, सारी बाज़ी पलट चुकी थी। 

काफ़ी देर तक यूँही ख़ामोशी छाई हुई थी, इस खामोशी ने उन किडनैपर के मन में बेचैनी सी पैदा कर दी थी, उन्हें लगा कि शायद वे ज़िंदा बच कमरे से बाहर निकल सकते हैं, इसलिए दोनों घुटने के बल दरवाजे तक पहुंचने की कोशिश करने लगे कि तभी अचानक "धाँय... धाँय", दो गोलियां चलती हैं जो अपने निशाने को ढूंढते हुए उन बाकी बचे दो किडनैपर्स को भी ढेर कर देतीं हैं। अब उस कमरे में केवल कंप्यूटर प्रोग्रामर अरविंद सुब्रमण्यम ही ज़िंदा बचा हुआ था और वह अपने रक्षक दूत से मिलने के लिए बेकरार था।

                          To be continued... 

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पोर्टल... 


अचानक दरवाजा खुलता है और एक 22 वर्षीय खूबसूरत लड़की काले कपड़े पहने अपने हाथ में हाँथ में गन लिए कमरे में दाखिल होती है, अरविंद सुब्रमण्यम के दिल की तमन्ना पूरी हो गई, उसकी मुलाकात अपने रक्षक दूत से हो गई, वह अरविंद को बंधन से आज़ाद करती है और अरविंद की उंगली से बहते खून को रोकने के लिए एक कपड़े से बांध देती है, फिर उसे अपने पीछे आने का आदेश देती है, अरविंद उसके पीछे चल दिया।

कमरे से बाहर निकलते ही अरविंद को कुछ आदमी मरे पड़े हुए दिखते हैं, उसे समझते देर नहीं लगती है कि उसे बचाने के लिए उस हसीना ने ही उन्हें मारा होगा, अरविंद चुप चाप उसके पीछे - पीछे चलता रहा, बिल्डिंग के नीचे उतरते ही उन्हें एक और शख्स मिलता है, जो कद काठी से किसी पहलवान से कम नहीं था, वह उन्हें अपने पीछे आने का इशारा करता है, वह अनजान लड़की और अरविन्द उसके पीछे चल दिए। वह उन्हें एक कार की ओर ले जाता है, कार के अंदर प्रवेश करते ही बैक सीट पर वह लड़की अरविंद की उंगली को फ़र्स्ट ऐड किट से पट्टी बांध देती है। गाड़ी सीधा अस्पताल की ओर जाने के लिए आगे बढ़ती है।

" हैलो, अरविंद मैं कैप्टन अनिरुद्ध हूँ और ये है मेरी असिस्टेंट निकोल डिसूजा है, मुझे आपकी लोकेशन हिमांशु चट्टोपाध्याय ने भेजी थी, मैं एक सिक्यूरिटी एजेंसी चलाता हूँ उससे पहले मैं भारतीय सेना में था", उस व्यक्ति ने गाड़ी चलाते - चलाते अरविंद सुब्रमण्यम को अपना और उस लड़की का परिचय देते हुए कहा। अरविंद की समझ में सारी बात आ गई, सामने वाली बिल्डिंग की छत से उन किडनैपर्स को गोलियों से मार गिराने वाले स्निपर कैप्टन अनिरुद्ध ही था।

" आप का बहुत शुक्रिया, मुझे बचाने के लिए", अरविंद ने उन्हें अपना आभार प्रकट किया।

"शुक्रिया कैसा... यह तो हमारा काम है", पास बैठी निकोल ने अरविंद से कहा।

" बिलकुल सही...आज तुमने वाकई काबिले तारीफ काम किया है निकोल, उस कमरे के बाहर कितने लोग थे," अनिरुद्ध ने निकोल से सहमत होते हुए उसकी प्रशंसा की और कमरे के बाहर मौजूद लोगों के बारे में पूछा।

" करीब नौ लोग थे हथियारों के साथ ", निकोल ने अनिरुद्ध को जवाब दिया।

" तो मेरा अंदाज़ा बिलकुल सही था... उसके बॉस के साथ भी पाँच लोग थे जो वहां से पहले ही निकल चुके थे, लो अस्पताल पहुंच गए, निकोल तुम जाकर अरविंद का ट्रीटमंट करवाओ मैं जब तक हिमांशु को सारी रिपोर्ट दे देता हूँ ", अनिरुद्ध ने कार अस्पताल के सामने रोकते ही अपनी असिस्टेंट को आदेश दिया। वह अरविंद सुब्रमण्यम को लेकर अस्पताल के अंदर चली जाती है। अनिरुद्ध ने हिमांशु को अपने मोबाइल से कॉल किया और मिशन के सक्सेस होने की सारी जानकारी दी और साथ ही अरविंद की कटी हुई उंगली की भी जानकारी दी साथ ही उससे यह भी कहा कि इस केस के सिलसिले में वह उसे दुबारा कॉल करेगा लेकिन उससे पहले वह अरविंद को पहले सुरक्षित घर पहुंचा दे। 


हादसे से भरी एक रात बीतती है और सवेरा होता है जो अपने साथ ही आशा की नई किरण लेकर आता है, आज एक ऐतिहासिक दिन है और इसे इतिहास के पन्नों पर दर्ज करने के लिए सब कुछ भूलकर अरविंद सुब्रमण्यम अपने घर से भारतीय स्पेस रिसर्च सेंटर के लिए निकलता है, उसके साथ अनिरुद्ध और निकोल भी थे। उसकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दोनों ने रात अनिरुद्ध के घर पर ही बिताई थी। तीनों साथ ही स्पेस रिसर्च सेंटर पहुंचते हैं, जहाँ हिमांशु बेसब्री से इंतजार कर रहा था, अरविंद के वहां पहुंचते ही मिशन की तैयारी शुरू हो जाती है, आज एस्ट्रोनॉट्स पोर्टल के अंदर प्रवेश करने वाले थे, सारी तैयारी हो चुकी थी अब एस्ट्रोनॉट्स से संपर्क साधने का वक़्त था। 

उनसे संपर्क जुड़ता है और संपर्क होते ही भारत के प्रधानमंत्री उन्हें संबोधित करते हैं " दोस्तों आज एक ऐतिहासिक पल है, आज हम मानव जाति के उस अविष्कार का प्रयोग करने जा रहे हैं जो किसी भी देश के लिए अब तक नामुमकिन है, यह एक चमत्कार ही है कि भविष्य में ब्रह्माण्ड की यात्रा इतनी आसानी से तय की जा सकेगी, आज पोर्टल में प्रवेश करते ही आप लोग दुनिया के वो पहले इंसान होंगे जिन्होंने समय को मात देते हुए प्रकाश की गति से भी तेज यात्रा करने जा रहे हैं और पल भर में सबसे नज़दीकी ब्लैक होल तक पहुंचने जा रहे हैं जिससे हमारी पृथ्वी को भविष्य में ख़तरा है, आज सारी दुनिया की नज़र हम पर टिकी हुई है इस उम्मीद में कि मानव जाति को जीने का एक और मौका मिल सके, हम साथ रह सकें उनके साथ जो हमारे प्रिय हैं... अब मैं आपका ज़्यादा समय नहीं लूँगा , हम सब की दुआएं आप सभी के साथ, आपकी यात्रा मंगलमय हो, जय हिंद ", प्रधानमंत्री इवेंट हॉराइज़न टीम के एस्ट्रोनॉट्स तथा  वैज्ञानिकों को संबोधित करते ही पास बने स्पेशल कैबिन में प्रवेश करते हैं जहाँ से अन्य देशों के नेताओं के साथ सुरक्षित बैठकर इस ऐतिहासिक पल को देख सकते थे। 

" तो ठीक है हम सभी पोर्टल में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं, यहाँ बैठे टीम के सभी सदस्यों से निवेदन है कि एक बार फिर से यान की अच्छी तरह से जांच कर लें अपने कंप्यूटर पर पोर्टल में प्रवेश करने से पहले, कोई भी कमी हो तो यही वक़्त है उसे दूर करने का नहीं तो यान क्षतिग्रस्त भी हो सकता है... इसलिए आप सभी यान को एक बार फिर से पूरी तरह अच्छे से जांच करें, विक्टर एंटनोवाविच और आर्यन सिन्हा से भी निवेदन है कि वह अपने यानों की अच्छे से जाँच करें ", प्रधानमंत्री के सबको संबोधित करने के बाद हिमांशु ने इवेंट हॉराइज़न की पूरी टीम को यानों की अच्छे से जांच करने के आदेश दिए पोर्टल में प्रवेश करने से पहले। सभी इस काम में लग गए फ़िर चाहे स्पेस रिसर्च सेंटर के सदस्य हों या टीम के एस्ट्रोनॉट्स। यान में मौजूद हल्की सी भी क्षति पोर्टल में प्रवेश करते ही बड़े हादसे का रूप ले सकती थी इसलिए वहाँ मौजूद कोई भी सदस्य किसी किस्म का जोखिम नहीं उठाना चाहता था। हिमांशु चट्टोपाध्याय यान के हर भाग के नाम ले रहे थे और वहाँ मौजूद वैज्ञानिक भाग की जाँच करते ही सही होने पर "चेक्ड, क्लियर है" कह रहे थे। इसी तरह से दोनों यान की जाँच एक बार फिर से हो जाती है, सब कुछ सही निकलने पर अब पोर्टल द्वार में प्रवेश करने का वक़्त था। 

                     To be continued... 

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नियर ब्लैक होल... 


"5...4...3...2...1...गो," काउंट डाउन होते ही अरविंद सुब्रमण्यम अपने कंप्यूटर का एंटर बटन दबाता है और पोर्टल हरकत में आता है, यान पोर्टल द्वार में प्रवेश करता है और बिजली से भी तेज रफ्तार पकड़ लेता है, पूरे यान में बुरी तरह से कंपन होता है, ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ब्रह्माण्ड में मौजूद हर एक प्रकाश की किरण यान को भेद कर अन्दर पहुँचना चाहती हो, सभी एस्ट्रोनॉट्स के दिलों की धड़कने बढ़ चुकी थी, वे अपनी आँखों को बंद कर परमेश्वर से सब कुछ सही होने की प्रार्थना करते हैं । बस कुछ ही मिनटों में दोनों यान ब्लैक होल के नज़दीक पहुंच जाते हैं जहाँ वह उचित दूरी पर अपने यान को एक ही स्थिति में रोक कर आगे की योजना पर काम करने की तैयारी शुरू कर देते हैं। सब कुछ सामान्य होते ही टीम के एस्ट्रोनॉट्स अपने काम पर लग जाते हैं, वे अपने स्पेस सूट और हैल्मेट उतार देते हैं जो उन्होंने पोर्टल में यात्रा करने से पहले सुरक्षा के तौर पर पहना था। अब एस्ट्रोनॉट्स टीम के हर सदस्य का बस एक ही मकसद था कि किसी तरह स्पेस सेंटर से रेडियो पर बात की जाए और उन्हें इस बात की सूचना दे दी जाए कि पोर्टल द्वार से यात्रा करना बिल्कुल सुरक्षित था और वह अपनी तय की गई दूरी तक पहुँच चुके हैं।

उधर स्पेस सेंटर में भी सब उनसे संपर्क साधने के लिए बेताब थे, उन्हे जानना था कि वे सभी सुरक्षित हैं या नहीं, कहीं पोर्टल में प्रवेश करते ही ब्लास्ट तो नहीं हो गए।

"अब यहाँ से दोनों यान कुछ दूरी तक एक साथ यात्रा कर ब्लैक होल के और नज़दीक जाएंगे, बस उसके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से काफ़ी दूरी बनाए रखना है ये बात याद रहे, उसके बाद दोनों यान अलग अलग हो जाएंगे और एक टीम यान के साथ ब्लैक होल में प्रवेश करेगी, लेकिन आगे बढ़ने से पहले स्पेस सेंटर से संपर्क करना बहुत जरूरी है इसलिए सभी इस काम में लगे रहें ", ग्रुप कैप्टन आर्यन सिन्हा ने अपने टीम के बाकी मेंबर्स को आदेश देते हुए कहा। काफ़ी देर तक प्रयास करने के बाद सिग्नल मिलता है और इवेंट हॉराइज़न की स्पेस सेंटर की टीम के साथ संपर्क होता है, सिग्नल मिलते ही भारतीय स्पेस सेंटर में चारों ओर खुशी का माहौल छा जाता है। इससे पहले कि सब एक दूसरे को बधाई देते हिमांशु ने अपनी एस्ट्रोनॉट्स टीम के सदस्यों से बात करना ज़्यादा ज़रूरी समझा। 

"हम ब्लैक होल के नज़दीक सुरक्षित पहुंच गए हैं और अब उसकी तरफ़ बढ़ने की तैयारी में हैं", ग्रुप कैप्टन विक्टर एंटनोवाविच ने स्पेस सेंटर में रिपोर्ट किया।

" वेरी गुड...बस एक बात का विशेष ध्यान रखें कैप्टन, आप इस समय जिस दिशा में हैं उसे नोट कर लें क्यूँकि आपकी वापसी के समय भी आपको पोर्टल की फ्रिक्वेंसी यहीं मिलेगी, आपको कुछ दिखाई नहीं देगा अगर आप उसी दिशा में देंखे लेकिन पोर्टल द्वार की फ्रिक्वेंसी वहां मौजूद है और तब तक रहेगी जब तक आप लोग लौट कर न आ जाएं, आपके यानों के पोर्टल में वापसी करते समय प्रवेश करते ही हम उसे बंद करेंगे जिसके कारण आप लोग सुरक्षित उसी पोर्टल द्वार से पृथ्वी की ओर बढ़ेंगे, तो उसकी दिशा को अच्छी तरह से नोट कर लें ", हिमांशु चट्टोपाध्याय ने एस्ट्रोनॉट्स टीम के हर सदस्य को सूचित करते हुए कहा। एस्ट्रोनॉट्स टीम के सदस्यों से बात होते ही भारतीय स्पेस सेंटर में खुशी का माहौल बन जाता है, सभी एक दूसरे को बधाइयाँ देने लगते हैं, भारत के प्रधानमंत्री भी उस कक्ष में मौजूद सभी वैज्ञानिकों को उनकी अविश्वसनीय कामयाबी के बाद बधाई देते हैं। हिमांशु चट्टोपाध्याय के सुझाए गए वापसी के रास्ते की दिशा को यान के कंप्यूटर में सेव कर लिया जाता है और साथ ही कुछ वैज्ञानिक उस दिशा को अपनी डायरी में भी दर्ज कर लेते हैं अपनी निजी जानकारी के तौर पर। ग्रुप कैप्टन आर्यन सिन्हा और ग्रुप कैप्टन विक्टर एंटनोवाविच यान को धीरे धीरे ब्लैक होल की दिशा में आगे बढ़ाते हैं।

"एक बात याद रखना हमें किसी भी हालत में ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के बीचोंबीच नहीं आना है, वर्ना दोनों यान से हमारा कंट्रोल खो जायेगा और हम सभी ब्लैक होल में खिंचते चले जाएंगे", विक्टर ने ग्रुप कैप्टन आर्यन सिन्हा से कहा। 

" हाँ... मुझे पता है और इसी वजह से यान उसके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के मध्य से न ले जाकर, उससे काफ़ी दूरी पर रखा है ", आर्यन सिन्हा ने विक्टर को विश्वास दिलाते हुए कहा। 

" ये ब्लैक होल त्रिकोणीय है यानि कि यह तीन तारों के मेल से बना है", रूसी वैज्ञानिक मिखेल ने बाकी के टीम मेंबर्स से कहा। 

" बिलकुल ये काफ़ी अद्भुत और काफ़ी अनोखा है... ये जितना छोटा दिख रहा है उससे कहीं ज़्यादा विशाल ये अंदर से होगा, इस ब्रह्माण्ड में मौजूद अनगिनत तारों और ग्रहों को ये अपने अंदर समेटे होगा ", भारतीय वैज्ञानिक अनिता जॉर्ज ने सभी टीम मेम्बर्स से कहा। 

" ये ब्रह्माण्ड में मौजूद एक चमत्कार की तरह है...जिसकी गुत्थी उसके अंदर पंहुच कर ही सुलझ सकती है ", मिखेल ने कहा। सभी ब्रह्माण्ड के इस चमत्कार को आज नज़दीक से देख कर काफ़ी आश्चर्यचकित थे, आज तक ब्लैक होल के इतने नज़दीक शायद ही कोई पहुँचा होगा। एस्ट्रोनॉट्स दल जितना ब्लैक होल के नज़दीक पहुँच रहा था उनकी उत्सुकता उतनी ही बढ़ती जा रही थी। 


" वाह... हिमांशु... वाह, तुम तो वाकई एक जीनियस निकले, तुमने आज वो कर दिखाया है जिसके बारे में किसी भी देश के वैज्ञानिक ने केवल कल्पना मात्र की होगी लेकिन उसे कभी अंजाम तक नहीं पहुँचा पाया", स्पेस सेंटर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिमांशु चट्टोपाध्याय को बधाई देते हुए कहा। 

" हाँ, ये बात तो सही है, प्रधानमंत्री आज काफ़ी ख़ुश होकर निकले हैं, प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी को इस मिशन से जुड़ी अब तक की कामयाबी के बारे में जानकारी देने... आज वाकई हमारे देश के लिए ये एक गर्व की बात है", दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने पहले वाले से सहमत होते हुए कहा। 

" भाई आज की कामयाबी की खुशी में पार्टी तो बनती है... आज वाकई एक बड़ा दिन है जब भारत ने बाज़ी मार ली है और ब्रह्माण्ड में यातायात का एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला है ", एक और वरिष्ठ नेता ने दोनों की बातों से सहमत होते हुए कहा। 

"क्यूँ नहीं... आज आप सभी की पार्टी मेरी तरफ़ से, हमारे एस्ट्रोनॉट्स दो दिन बाद ब्लैक होल में प्रवेश करेंगे और उनके ऐसा करते ही हमारा काम और बढ़ने वाला है, फिर पार्टी के लिए कोई समय नहीं मिलेगा, इसलिए आज शाम को पार्टी मेरे आउट हाऊस में होगी," हिमांशु चट्टोपाध्याय के सीनियर अधिकारी ने सबको निमंत्रित करते हुए कहा। 

                         To be continued... 

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सुसाइड मिशन... 



" दोनों यानों में स्थित सभी कैमरे ऑन हैं, ब्लैक होल को हमारे स्पेस रिसर्च टीम के सभी वैज्ञानिक और जनता देख सकती है, इसका विशेष आयोजन पहले से ही कर दिया गया था, यही नहीं एक यान में स्थित सैटेलाईट भी सिग्नल भेजने के लिए सक्रिय कर दी गई है जिसे स्वीडन की युवा सैटेलाईट विशेषज्ञ रज़िया खाँ हैंडल कर रही हैं... अब हम सभी को मिलकर आखिरी बार ये तय करना है कि कितने लोगों की टीम ब्लैक होल में जाने के लिए तैयार है ", ग्रुप कैप्टन आर्यन सिन्हा ने बाकी एस्ट्रोनॉट्स से कहा।

" इतना तो तय है कि जिस रास्ते अंदर जाएंगे उसी रास्ते बाहर निकल आएं ऐसा नहीं हो सकता है क्यूँकि उसका गुरुत्वाकर्षण केंद्र बहुत शक्तिशाली होता है यान का कंट्रोल हम खो देंगे ", मिखेल ने आर्यन की बात का जवाब देते हुए कहा।

"ये एक सुसाइड मिशन होगा... जेंटलमैन जहाँ समय पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं रहेगा, अगर सब कुछ सही रहा तो हम बस सिग्नल भेजने में कामयाब हो पाएंगे, मगर उसे ब्लैक होल से बाहर खड़े यान तक पहुंचने में कितना समय लगेगा हम ठीक से नहीं जानते हैं ", ग्रुप कैप्टन विक्टर ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा।

" इसके बारे में थोड़ी जानकारी मैं आप लोगों को दे सकती हूँ ", रज़िया खाँ ने बाकी के टीम मेंबर्स से कहा।

" वो कैसे ", अनीता जॉर्ज ने उत्सुकता पूर्वक पूछा।

" ये हम सभी जानते हैं कि ब्लैक होल के अंदर प्रवेश करने पर हमें फ्रीज़िंग टाइम मिलने की उम्मीद ज़्यादा होगी, जिस वजह से हो सकता है कि ब्लैक होल में मौजूद किसी भी ग्रह या उपग्रह पे उतरने पर हम समय से काफ़ी पीछे चलें जिस वजह से हमारी उम्र में भी ज़्यादा बदलाव न हो, वहाँ बिताया कुछ मिनट हमारे लिए महीने या सालों के बराबर हो, हवा का दबाव भी काफ़ी कम हो जाता है जिस वजह से सिग्नल हमारे पास पहुंचने में कई दिन, महीने या साल लग सकते हैं ", रज़िया खाँ ने उन सभी को समझाते हुए कहा। 

" तो तुम्हारे हिसाब से ये मुमकिन है कि जहाँ हम उतरेंगे वहां से सिग्नल भेजने में हमें कई दिन या महीने लगेंगे लेकिन हमारे लिए ये कुछ ही सेकंड या मिनट में पूरा हो जाएगा क्यूँकि हम समय से पीछे चल रहे होंगे ", मिखैल ने रज़िया से प्रश्न पूछा। 

"हाँ... ये नई एप्लीकेशन जिसका उपयोग आप लोग आईपैड या हाइटेक मोबाइल के ज़रिए करेंगे सिग्नल और रिकॉर्डिंग भेजने में, ये हम तक पहुंचने में दिन को घंटे और सालों को महीने में बदल देगा , इसे इसीलिए बनाया गया है ताकि समय से थोड़ा जल्दी जानकारियां पहुँचाई जा सके", रज़िया ने उन्हें समझाते हुए बताया। 

" चलो कुछ तो समय से थोड़ा जल्दी काम करेगा ", इंग्लैंड की तारकीय विज्ञान विशेषज्ञ कैथरीन ब्राउन ने राहत की साँस लेते हुए कहा। 

" तो ठीक है दोस्तों, अब जबकि हमें सारी जानकारी मिल चुकी है और अपने- अपने तजुर्बे से हम सभी अनुभवी हैं तो अब हमें उस टीम का फैसला करना है जो ब्लैक होल के अंदर जाने वाली है ", विक्टर एंटनोवाविच ने सभी टीम मेंबर्स से कहा। 

" मैं ब्लैक होल में जाने के लिए तैयार हूँ ", ग्रुप कैप्टन आर्यन सिन्हा ने निडरता दिखाते हुए कहा। 

" तो ठीक है ये तय रहा कि मैं, आर्यन सिन्हा, मिखैल सेर्गीविच, थॉमस राइली (इंग्लैंड) और ली जुंग फांग (चीन) की टीम ब्लैक होल में प्रवेश करेगी... हमारे जाने के बाद यान की ज़िम्मेदारी कैप्टन रिचा शर्मा की होगी बाकि महिलाओं की टीम इसी यान पर सैटेलाईट द्वारा सिग्नल रिसीव करने और भेजने का काम करेगी, आप लोग अपने शोध के कार्य भी कर सकती हैं हमारी भेजी हुई जानकारियां प्राप्त करके ", विक्टर एंटनोवाविच ने सभी टीम मेंबर्स को आदेश देते हुए कहा। सभी उनके इस निर्णय से सहमत थे। 


" सर, मेरा आपसे एक सवाल है ",  अनुष्का ने हिमांशु चट्टोपाध्याय से पूछा। 

" बेझिझक पूछो... जो भी तुम पूछना चाहती हो, आखिर तुम मेरी जूनियर हो, तुम्हारी शंकाओं को दूर करना मेरा फर्ज़ है", हिमांशु चट्टोपाध्याय ने मज़ाक के रूप में उससे सवाल पूछने को कहा। 

"ये पोर्टल द्वार कंप्यूटर द्वारा प्रकाश से चलता है तो दूसरी तरफ हमारे एस्ट्रोनॉट्स टीम के सदस्य क्यूँ नहीं देख सकते हैं केवल फ्रिक्वेंसी ही क्यूँ रिसीव करेंगे,"अनुष्का ने हिमांशु से सवाल किया। 

"दरअसल ब्रह्माण्ड में मौजूद ये पोर्टल द्वार कंप्यूटर से ऑपरेट किया जाता है जिस वजह से कंप्यूटर का पूरा नियंत्रण रहता है पोर्टल में मौजूद प्रकाश की किरणों पर... अब ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण बल ज़्यादा होने की वजह से हम लोगों ने प्रकाश की किरणों का स्तर बिल्कुल कम कर दिया है ताकि गलती से भी ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण बल का शिकार न हो जाएं, वह प्रकाश के हर स्रोत को अपने अंदर खींचने की क्षमता रखता है, इसलिए हमारे एस्ट्रोनॉट्स उसे देख पाने में असमर्थ हैं केवल फ्रिक्वेंसी ही रिसीव कर उसकी दिशा में जा सकते हैं ", हिमांशु चट्टोपाध्याय ने अनुष्का को अच्छी तरह से समझाते हुए कहा। वह दोनों अपनी बातचीत इसी तरह जारी रखते हैं कि तभी अचानक हिमांशु चट्टोपाध्याय के मोबाइल पर एक कॉल आती है, वह कॉल रिसीव करने के लिए कान से लगाते हैं, 

" हैलो हिमांशु दिस इस अनिरुद्ध हियर... तुमसे उस किडनैपपिंग वाले सिलसिले में बात करनी थी, तुम्हारे कंप्यूटर प्रोग्रामर को किडनैप करने वाले की जानकारी मिल गई है उसका नाम जाफर है लेकिन ज़्यादातर लोग उसे रहमान के नाम से जानते हैं, उसके कनेक्शन अंडर वर्ल्ड से हैं और काफ़ी शातिर क्रिमिनल है, मैं इसी केस पर काम कर रहा हूँ और उसके पीछे लगा हूँ, रेस्क्यू ऑपरेशन के रात वाले हादसे के बाद से वह अंडर ग्राउंड हो चुका है, पर एक लीड मिली है और मैं वहीं जा रहा हूँ, सोचा तुम्हें इस केस की प्रोग्रेस के बारे में बता दूँ ", हिमांशु के मोबाइल पर अनिरुद्ध ने कहा। 

" सो काइंड ऑफ यू... थैंक्स, ये जानकर खुशी हुई कि उस गैंग के लीडर का पता चल चुका है, अब अरविंद भी काफ़ी नॉर्मल हो गया है उस हादसे के बाद से, उसे ये बता दूँगा तो उसे थोड़ी राहत मिलेगी ", हिमांशु ने इधर से मोबाइल पर अनिरुद्ध को धन्यवाद देते हुए कहा। 

"चलो, अब मुझे जाना होगा बाद में बात करते हैं, आगे जैसे जैसे प्रोग्रेस होगा मैं तुम्हें सूचित कर दूँगा, ओके... बाय ", अनिरुद्ध ने बोलते ही कॉल को काट दिया, इधर हिमांशु को ये खबर सुनकर राहत मिली पर उसे उस गैंग लीडर से ज़्यादा इवेंट हॉराइज़न के एस्ट्रोनॉट्स टीम की चिंता लगी हुई थी, स्पेस सेंटर में उनके द्वारा भेजे जा रहे ब्लैक होल के विडियो को सभी देख कर अपना निष्कर्ष निकाल रहे थे तथा मीडिया में भी जानता के समक्ष ये विडियो दिखाए जा रहे थे। 

                         To be continued... 

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स्मार्ट कम्युनिकेशन सिस्टम... 



"हाय... मैं हूँ मिशैंका एक स्मार्ट कम्युनिकेशन सिस्टम तथा एक कंप्यूटर प्रोग्राम और इस स्पेस प्रोजेक्ट में मैं आपकी सहायक हूँ और ज़रूरत पड़ने पर उचित मार्ग दर्शन भी करूंगी," रज़िया खाँ के कंप्यूटर को सैटेलाईट से कनेक्ट करते ही उनके कंप्यूटर स्क्रीन पर एक थ्रीडी एनिमेटेड लड़की बोलती है।

"ओह! तो यह बोलती भी है ", भारत की अनीता जॉर्ज मेन स्क्रीन पर उस सुंदर लड़की को देख कर कहती है।

" हाँ, ये बोल भी सकती है और हम सबको मुश्किल से मुश्किल हालातों का जायज़ा लेकर ज़रूरी जानकारियां भी देती है, ये स्मार्ट कंप्यूटर प्रोग्राम जब जनता के समक्ष किया जाएगा तो ये एनिमेटेड रोबो गर्ल नहीं दिखाई पड़ेगी... मिशैंका को ख़ास इस स्पेस प्रोजेक्ट के लिए बनाया गया था और बाद में हमारी स्वेडिश कंपनी इसे एप्लीकेशन के तौर पर जनता के समक्ष लांच करेगी ", रज़िया खाँ ने सभी टीम मेंबर्स को सारी जानकारी देते हुए कहा।

" तो क्या ये हम सबके कंप्यूटर पर आना जाना करेगी ", विक्टर एंटनोवाविच ने रज़िया खाँ से पूछा।

" हाँ, अब से ये हम सबके साथ जुड़ चुकी है, आपके सफ़र की हर जानकारी देती रहेगी और आप लोगों को भी ज़रूरत पड़ने पर उचित जानकारी दे देगी, आपके स्पेस सूट के रिस्ट पर अटैच हाइटेक कम्युनिकेशन सिस्टम से भी ये जुड़ी रहेगी, आपके हेल्मेट पर अटैच कैमरा से रिकॉर्ड की हुई सारी जानकारी ये हमें देती रहेगी, इसका पूरा कंट्रोल रहेगा हमारे सैटेलाईट कम्युनिकेशन सिस्टम पर, ये हमारा काम बेहद आसान कर देगी ", रज़िया खाँ ने सभी टीम मेंबर्स को समझाते हुए कहा। 

" तो बताओ मिशैंका ब्लैक होल में हमारा सामना कौन कौन सी चुनौतियों से होने वाला है और क्या है ब्लैक होल का रहस्य ", कैप्टन रिचा शर्मा ने कंप्यूटर प्रोग्राम मिशैंका से पूछा। 

" ब्लैक होल में पृथ्वी का सारा डेटा कलेक्ट होता है जो प्रकाश के रूप में वहां तक पहुंचता है... दरअसल पृथ्वी पर जल की मात्रा अधिक है जो सूर्य की ऊष्मा के कारण वाष्पशील होता है और हर रोज़ होता है पृथ्वी के अलग अलग भागों से निकलता है...इंसानी शरीर में भी 70% पानी ही होता है और सूर्य की ऊष्मा से इंसानी शरीर से भी पानी पसीने के रूप में निकलता है, इसी कारण इंसानो का भी डेटा वाष्प के रूप में वातावरण में मिल जाता है, सूर्य की गर्मी के कारण ही पृथ्वी से यही डेटा जो वाष्प के रूप में निकलता है ब्रह्माण्ड में शराब के बादल बनाता है...ऐसा केवल दिन के समय ही नहीं होता बल्कि रात में भी होता है क्यूँकि चंद्रमा भी सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है और जब पृथ्वी के एक हिस्से में रात होती है तो दूसरे हिस्से में दिन होता है, इससे सूर्य का प्रकाश हमेशा पृथ्वी को घेरे रहता जिस कारण पृथ्वी का डेटा दिन और रात शराब के बादलों में बदल कर ब्रह्माण्ड में मिलता है फिर बाद में वही जानकारियां प्रकाश के रूप में ब्लैक होल द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं ", मिशैंका ने कैप्टन रिचा शर्मा की ओर देख कर उनके पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा। 

" तो इसका मतलब यह है कि पृथ्वी का हर डेटा हमें वहाँ मिलेगा... हमारे गुज़रे हुए कल की हर जानकारी हम वहाँ ढूँढ सकते हैं ", ग्रुप कैप्टन आर्यन सिन्हा ने मिशैंका की ओर देखते हुए पूछा।

" ये इतना आसान नहीं होगा क्यूँकि जानकारियां वाष्प के रूप में निकलती हैं तो ये ब्लैक होल में मेट्रिक्स के रूप में मौजूद होतीं हैं, वहाँ ये इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड का निर्माण कर देती हैं, ये स्थिर नहीं रहता है क्यूँकि ब्लैक होल में गुरुत्वाकर्षण बल ज़्यादा होता है इसलिए इनमें भी अस्थिरता रहती है लेकिन यही वो रास्ता है जो ब्लैक होल में मौजूद इंसानों को पृथ्वी के इंसानों से जोड़ सकता है ", एक मेन स्क्रीन पर मिशैंका ने आर्यन सिन्हा के पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा। उस कमरे में मौजूद सभी एस्ट्रोनॉट्स के चेहरों पर एक उम्मीद की किरण नज़र आने लगी मिशैंका से मिली इस जानकारी को सुनकर।

" ये जानकारी हमारे लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है, तो दोस्तों अब जब मिशैंका ने हम सबको इतनी महत्वपूर्ण जानकारी दी है जिससे हम पृथ्वी से एक बार फिर से जुड़ सकते हैं... ये सुनकर एक उम्मीद की किरण नज़र आने लगी है ब्लैक होल से वापस लौटने की वो भी सही सलामत, अब बस हम सबको सावधानी से ब्लैक होल के बिलकुल मध्य से अपने एक यान को ले जाना है, मध्य में रखने से हमारा यान आग लगने से क्षतिग्रस्त नहीं होगा और हम ब्लैक होल में प्रवेश कर जाएंगे, हम अपने समय से सही काम करेंगे लेकिन हमारे साथी यान के लिए काफ़ी वक़्त गुज़र चुका होगा तो हमें इस बात का ख़याल रखना है कि हम किसी भी ग्रह या उपग्रह पर ज़्यादा वक़्त न बिताए यदि जानकारी लेने उतरते हैं तो ", ग्रुप कैप्टन विक्टर एंटनोवाविच ने बाकी के एस्ट्रोनॉट्स को संबोधित करते हुए कहा।

" यही नहीं हम सभी को अपने स्मार्ट कम्युनिकेशन सिस्टम का ख़ास ख़याल रखना है ताकि ज़रूरत पड़ने पर हम एक दूसरे के साथ संपर्क स्थापित कर सकें... ब्लैक होल में प्रवेश करते ही हम लोग शटल लेकर दो टीमों में स्पिलिट हो जाएंगे, जिससे कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारियां इकट्ठा कर सकें, मुख्य यान पर एक टीम मेम्बर हमारे द्वारा भेजी गई जानकारी ब्लैक होल से बाहर खड़े हमारे साथी यान को देगा जहाँ से हमारी महिला टीम की सभी वैज्ञानिक पृथ्वी तक उचित समय में जानकारियां भेज सकें ", ग्रुप कैप्टन आर्यन सिन्हा ने ब्लैक होल में प्रवेश करने वाले जांबाज़ एस्ट्रोनॉट्स दल को बाकि की जानकारी देते हुए कहा। अब सब कुछ स्मार्ट कम्युनिकेशन सिस्टम मिशैंका के हाथों में था जिसे स्वीडन की प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी ने ख़ास इसी मिशन के लिए डिज़ाइन किया था। एक बार ये सिस्टम का सफल परीक्षण ब्लैक होल में होने के बाद इसे आम जनता के बीच सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के रूप में लाया जाना था और फिर ये हर मोबाइल, आईपैड तथा अन्य कम्युनिकेशन सिस्टम में मौजूद होता। अब सब कुछ ब्लैक होल में सफलता से प्रवेश करने के बाद ही मुमकिन था पर उससे पहले ही हमारे एस्ट्रोनॉट्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती खड़ी थी और वह ब्लैक होल में सफलतापूर्वक प्रवेश करना ही थी। 

                          To be continued... 

                 ©IVANMAXIMUSEDWIN 















                                      

Comments

  • Very well written futuristic science fiction story based on time relativity theory. Best idea for a Sci-fi thriller movie. But it's sad that talent gets wasted in India . Bollywood is useless. Thanks for writing such an amazing story.God bless you dear writer.

    Feb 03, 2021

  • hello sir, it's quite interesting....... it would've been more interesting and fun if this beautiful story got written in English...... it can attract more readers if it would be in universal language else is your choice it's a small suggestion from me..... rest it is beautiful 😍🙏

    Feb 19, 2021

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